हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने पद संभालते ही सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट लिस्टिंग से जुड़े महत्वपूर्ण प्रक्रिया-नियमों में बदलाव कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब से किसी भी केस की अर्जेंट लिस्टिंग के लिए लिखित मेंशनिंग स्लिप देना अनिवार्य होगा। ओरल मेंशनिंग केवल “असाधारण हालात”—जैसे मौत की सजा या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों—में ही स्वीकार की जाएगी।
सोमवार को राष्ट्रपति भवन में हिंदी में शपथ लेने के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने कोर्ट परिसर में महात्मा गांधी और डॉ. बी.आर. आंबेडकर की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित किए। इसके बाद हेरिटेज कोर्ट रूम नंबर-1 में उन्होंने जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर के साथ अपनी पहली तीन-जजों की बेंच की अध्यक्षता की। करीब दो घंटे में बेंच ने 17 मामलों की सुनवाई की। उनका पहला फैसला हिमाचल प्रदेश की एक निजी फर्म से जुड़े मामले पर आया।
कार्यवाही के दौरान सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) के अध्यक्ष विपिन नायर ने उनका स्वागत किया। एक वकील ने उन्हें “किसान का बेटा जो CJI बन गया” कहकर बधाई दी, जिस पर उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि वे चंडीगढ़ के युवा वकीलों को भी देख रहे हैं।
नए CJI ने कहा कि अर्जेंट लिस्टिंग के लिए वकील कारण बताकर मेंशनिंग स्लिप दें। रजिस्ट्रार उसकी जाँच करेंगे और वास्तविक अर्जेंसी पाए जाने पर मामला लिस्ट किया जाएगा। जब एक वकील ने मौखिक अनुरोध पर जोर दिया, तो CJI सूर्यकांत ने साफ कहा कि सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही मौखिक मेंशनिंग स्वीकार होगी, अन्य मामलों में लिखित अनुरोध ही मान्य रहेगा।
जस्टिस सूर्यकांत फरवरी 2027 तक CJI पद पर रहेंगे। इससे पहले पूर्व CJI संजीव खन्ना ने ओरल मेंशनिंग बंद कर दी थी, जबकि जस्टिस बी.आर. गवई ने इसे पुनः शुरू किया था। अब एक बार फिर प्रक्रिया को सख्ती से व्यवस्थित किया गया है।













