हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 9 अप्रैल: 2025,
2027 की तैयारी में बीजेपी की चाल
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 के लिए राजनीतिक बिसात बिछनी शुरू हो चुकी है। जहां बीजेपी सत्ता की हैट्रिक लगाने के मिशन में जुटी है, वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) सियासी वापसी की कोशिशों में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इस बार का चुनाव जातीय समीकरणों और विचारधाराओं की टक्कर वाला होने जा रहा है।
संघ बनेगा बीजेपी का रणनीतिक साथी
2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की अपेक्षा से कमजोर परफॉर्मेंस के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अब 2027 के लिए ज्यादा सक्रिय हो गया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने उत्तर प्रदेश दौरे के दौरान यह संकेत दे दिया कि अब संघ खुद मैदान में उतरकर बीजेपी की सियासी जमीन को मज़बूत करेगा।
‘हिंदू एकता’ के जरिए SP के PDA को काउंटर
योगी आदित्यनाथ का नारा “बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो सेफ रहोगे” और 80-20 का नैरेटिव सीधे तौर पर जातियों में बंटे हिंदुओं को एकजुट करने की कोशिश है। वहीं संघ प्रमुख भागवत ने काशी प्रवास में मंदिर, पानी, और श्मशान को सभी के लिए समान बताया — यह बयान भी हिंदू एकता को आगे बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
सपा का PDA फॉर्मूला: जातीय गणित की सियासत
अखिलेश यादव की पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (PDA) राजनीति ने 2024 में जबरदस्त असर दिखाया। सपा को रिकॉर्ड 37 लोकसभा सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 6 सीटें और बीजेपी को केवल 33। अब अखिलेश इसी PDA को 2027 में और मजबूत करने की दिशा में जुटे हैं।
संघ की बढ़ती सक्रियता से सपा सतर्क
संघ की सक्रियता से सपा में हलचल है। सपा अब दलित वोटबैंक को साधने के लिए अंबेडकर जयंती जैसे आयोजनों और स्वाभिमान-स्वमान समारोह के जरिए लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ रही है। इसके साथ ही बसपा से आए नेताओं को अपने पाले में कर PDA को और मजबूत करने की रणनीति पर काम चल रहा है।
संघ और सरकार के बीच समन्वय बैठक
लखनऊ में संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल की मौजूदगी में एक बड़ी समन्वय बैठक हुई। इसमें सरकार और संघ के बीच विधानसभा चुनाव के लिए रोडमैप तैयार करने पर चर्चा हुई। रोजगार, किसानों के मुद्दे, संविदा कर्मचारियों की सुरक्षा और रिक्त पदों की भरती जैसे मुद्दों पर विशेष फोकस का सुझाव दिया गया।
निष्क्रिय स्वयंसेवकों को फिर से सक्रिय करने की योजना
2024 के लोकसभा चुनाव में स्वयंसेवकों की निष्क्रियता को बीजेपी की हार की वजहों में गिना गया। इसलिए संघ प्रमुख ने निर्देश दिया है कि पदाधिकारी घर-घर जाकर पुराने कार्यकर्ताओं को फिर से सक्रिय करें ताकि 2027 में कोई चूक न हो।
सपा का वैचारिक पलटवार: उदार बनाम कट्टर हिंदुत्व
सपा अब वैचारिक मोर्चे पर भी संघ से भिड़ने की तैयारी कर रही है। राममनोहर लोहिया के उदार हिंदुत्व के विचारों को पैंफलेट्स के जरिए गांव-गांव तक पहुंचाया जाएगा। मनुस्मृति और कट्टर हिंदुत्व के खिलाफ अभियान चलाकर दलित और पिछड़े वर्ग में अपनी पकड़ और गहरी करने की योजना है।
गांव-गांव तक वैचारिक जंग
सपा ब्लॉक, तहसील और जिला स्तर पर टीमें बनाकर गांव-गांव में अपने विचारों को ले जाने की रणनीति पर काम कर रही है। इस बार मुकाबला केवल जातियों और वोटों का नहीं, बल्कि विचारों और नैरेटिव्स का भी होगा।