हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 13अप्रैल: 2025,
राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक सर्वेक्षण की सिफारिश
कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका की अध्यक्षता में गठित ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए एक स्वतंत्र और पारदर्शी राष्ट्रीय सर्वेक्षण कराने की सिफारिश की है।
यह सर्वेक्षण श्रमिकों की संतुष्टि, वेतन भुगतान में देरी, भागीदारी के रुझान और योजना के अंतर्गत वित्तीय अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए।
मनरेगा में सुधार की आवश्यकता
समिति का कहना है कि बदलते समय और उभरती चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए मनरेगा योजना में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। खासतौर पर जलवायु परिवर्तन और आपदा राहत के संदर्भ में योजना की भूमिका को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।
कार्य दिवस और मजदूरी दर में वृद्धि की मांग
समिति ने कार्य दिवसों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 150 दिन करने की सिफारिश की है। इसके अतिरिक्त, आपदा राहत या सूखा जैसी परिस्थितियों में यह संख्या 200 दिन तक बढ़ाई जानी चाहिए।
मजदूरी की दर को लेकर समिति ने गहरी चिंता व्यक्त की है। बढ़ती महंगाई को देखते हुए समिति ने मजदूरी दर को कम से कम 400 रुपये प्रतिदिन करने की सिफारिश की है। वर्तमान मजदूरी दरें श्रमिकों की बुनियादी दैनिक जरूरतें भी पूरी नहीं कर पा रही हैं।
वेतन भुगतान में देरी और मुआवजा दर में वृद्धि की सिफारिश
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वेतन भुगतान में लगातार देरी हो रही है। देरी से मजदूरी मिलने पर मिलने वाले मुआवजे की दर को भी बढ़ाया जाना चाहिए ताकि श्रमिकों को समय पर भुगतान न होने की सजा न भुगतनी पड़े।
सोशल ऑडिट की अहमियत और पारदर्शिता पर जोर
समिति ने योजना की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सोशल ऑडिट को जरूरी बताया है। इसके लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय से सोशल ऑडिट कैलेंडर तैयार करने की अपील की गई है।
जॉब कार्ड हटाने की प्रक्रिया पर सवाल
2021-22 में लगभग 50.31 लाख जॉब कार्ड हटाए गए थे, जिनका कारण मामूली वर्तनी की गलतियां या आधार विवरण में बेमेल बताया गया। समिति ने इस पर भी चिंता जताई है और कहा है कि अब तक इन त्रुटियों में कोई खास कमी नहीं आई है।
इस वजह से हजारों पात्र श्रमिकों को योजना से बाहर कर दिया गया है। समिति ने सुझाव दिया है कि मैनुअल सत्यापन और सुधार की सुविधा उपलब्ध कराई जाए ताकि किसी भी श्रमिक को अनुचित रूप से बाहर न किया जाए।