हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 4 मई : 2025,
झांसी प्रकरण से उठे सवाल, अन्य जनपदों में भी बढ़ती शिकायतें; परिवहन विभाग ने बनाई नई रणनीति
उत्तर प्रदेश में परिवहन विभाग के अधीन संचालित निजी फिटनेस सेंटरों पर जबरन वसूली का मामला सामने आया है। झांसी से शुरू हुई शिकायतों के बाद अन्य जिलों से भी ऐसे ही आरोप सामने आ रहे हैं। फिटनेस सर्टिफिकेट के नाम पर वाहन स्वामियों से निर्धारित शुल्क से दो से तीन गुना तक वसूला जा रहा है।
अब परिवहन विभाग ने इस पर अंकुश लगाने के लिए गोपनीय जांच अभियान शुरू कर दिया है। इसके तहत कुछ विभागीय कर्मियों को वाहन मालिक बनाकर इन सेंटरों पर भेजा जाएगा ताकि सच्चाई सामने लाई जा सके।
झांसी में बड़ा खुलासा: एफआईआर दर्ज, 10 लोगों पर कार्रवाई
झांसी में जैसे ही नया निजी फिटनेस सेंटर शुरू हुआ, यहां निर्धारित फीस से तीन से चार गुना तक वसूली शुरू कर दी गई। इस पर क्षेत्रीय निरीक्षक (आरआई) संजय सिंह की जांच में मामला सही पाया गया। कार्रवाई करते हुए सेंटर संचालक, मैनेजर सहित 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।
अन्य जिलों से भी बढ़ती शिकायतें
झांसी के अलावा गाजियाबाद, बिजनौर, कानपुर देहात, मुरादाबाद, बरेली और वाराणसी से भी वसूली की शिकायतें सामने आ रही हैं। इन सभी स्थानों पर ऑटोमेटेड टेस्टिंग सेंटर (एटीएस) का संचालन निजी कंपनियों के हाथों में है।
लखनऊ में अपवादस्वरूप विभागीय और निजी दोनों स्टाफ मौजूद रहते हैं, जिससे वहां की प्रक्रिया अपेक्षाकृत पारदर्शी बनी हुई है।
विभाग की रणनीति: गोपनीय निगरानी और नई गाइडलाइन
परिवहन विभाग ने तय किया है कि अब सभी निजी फिटनेस सेंटरों पर गोपनीय निगरानी की जाएगी। जहां भी मनमानी वसूली की शिकायत मिलेगी, तुरंत कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए अलग से निगरानी गाइडलाइन भी तैयार की जा रही है।
कितना है शुल्क, कितनी हो रही वसूली?
- निजी वाहन: हर साल ₹600 शुल्क निर्धारित है।
- कॉमर्शियल वाहन (8 साल तक): हर दूसरे साल फिटनेस अनिवार्य।
- छोटे वाहन: ₹800
- अन्य वाहन: ₹1200
- 8 साल बाद: हर साल फिटनेस अनिवार्य।
शिकायतों के अनुसार कई सेंटरों पर यह शुल्क ₹1800 से ₹2400 तक वसूला जा रहा है, जो कानूनी रूप से पूरी तरह गलत है।