हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ बुधवार 4 जून 2025
लखनऊ। ईद-उल-अजहा (बकरीद) 2025 से पहले उत्तर प्रदेश में कुर्बानी को लेकर सियासत गरमा गई है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता आसिम वकार ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सवाल उठाया है कि “जीव हत्या का जिन सिर्फ बकरीद पर ही क्यों बाहर निकलता है?” उन्होंने कहा कि मुसलमानों को बार-बार सफाई देने की जरूरत नहीं है।
आसिम वकार ने कहा, “मैं कई वर्षों से देख रहा हूं कि जैसे ही बकरीद नजदीक आती है, कुछ विशेष गैंग सक्रिय हो जाते हैं। सोशल मीडिया पर तरह-तरह के संदेश फैलाए जाते हैं—कि मुसलमान निर्दयी हैं, जीव हत्या करते हैं, गोमांस खाते हैं—और मुसलमानों को सफाई देने के लिए मजबूर किया जाता है। मैं आज सफाई देने नहीं आया हूं, बल्कि यह कहने आया हूं कि यह मुद्दा केवल बकरीद के आसपास ही क्यों उठाया जाता है? पूरे साल जीवों के प्रति प्रेम कहां चला जाता है?”
बीजेपी नेताओं पर पलटवार
वकार ने गाजियाबाद के लोनी से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के बकरीद पर दिए बयान का भी करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में ‘अल दुआ’ नामक स्लाटर हाउस है, जहां हजारों जानवरों की कटाई होती है। अगर किसी को विरोध करना है तो जाकर वहां घेराव कीजिए और उसका लाइसेंस रद्द करवाइए।”
वहीं, तेलंगाना के बीजेपी विधायक टी. राजा सिंह को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि “वो अपने राज्य के मेडक जिले में स्थित अल-कबीर कत्लखाने का घेराव करें, जहां से बीफ का निर्यात होता है। सिर्फ बकरीद के समय मुसलमानों को निशाना बनाना उचित नहीं है।”
गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग
आसिम वकार ने केंद्र सरकार से गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग भी की। उन्होंने कहा, “जब सरकार ऊँट को संरक्षित कर सकती है, तो गाय को क्यों नहीं? सरकार को चाहिए कि वह गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करे और इस मुद्दे पर राजनीति बंद हो।”
ईद-उल-अजहा पर बढ़ती बयानबाजी
गौरतलब है कि इस वर्ष ईद-उल-अजहा 7 जून को मनाई जाएगी। त्यौहार से पहले कुर्बानी को लेकर समाज में बहस तेज हो गई है। धार्मिक स्वतंत्रता, कानून व्यवस्था और भावनाओं के सम्मान के बीच संतुलन बनाना प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है।