हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 10 मई : 2025,
अलीगढ़, 10 मई 2025
परिवार न्यायालय अलीगढ़ में एक ऐतिहासिक मिसाल देखने को मिली, जब 19 वर्षों से बिछड़ा एक परिवार फिर से एकजुट हो गया। अपर प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय द्वितीय, ज्ञानेंद्र सिंह की अदालत में लंबित एक पुराने भरण-पोषण के मामले में न्यायालय की काउंसलिंग की बदौलत पति-पत्नी और उनकी नाबालिग पुत्री फिर से साथ रहने को तैयार हो गए।
यह मामला वर्ष 2006 से विचाराधीन था। वादिया (पत्नी), जो थाना अकराबाद क्षेत्र की निवासी हैं, ने अपने पति (जो बन्नादेवी क्षेत्र में रहते हैं और रेडीमेड कपड़ों का व्यवसाय करते हैं) के विरुद्ध भरण-पोषण हेतु 23 नवम्बर 2006 को वाद दायर किया था। दंपत्ति की शादी 4 मई 2003 को हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही दहेज की मांग को लेकर पति द्वारा उत्पीड़न और मारपीट के कारण वादिया को घर छोड़ना पड़ा।
कोर्ट ने 23 नवम्बर 2007 को भरण-पोषण की राशि देने का आदेश पारित किया, लेकिन विपक्षी पति द्वारा कभी भी भरण-पोषण की राशि नहीं दी गई। इसके बाद 3 जनवरी 2008 को वादिया ने भरण-पोषण की राशि की वसूली हेतु धारा 128 सीआरपीसी के अंतर्गत पुनः वाद दायर किया। कोर्ट ने कई बार रिकवरी वारंट भी जारी किए और यहाँ तक कि एसएसपी अलीगढ़ को पत्र भी भेजे, लेकिन विपक्षी लंबे समय तक कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ।
लगातार प्रयासों और न्यायालय की गंभीरता के बाद जब विपक्षी कोर्ट में उपस्थित हुआ, तब इस प्रकरण को काउंसलिंग शाखा में भेजा गया। काउंसलर योगेश सारस्वत एडवोकेट एवं योगेश शंकर भारद्वाज की मेहनत रंग लाई और दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया। पति-पत्नी दोनों अपनी नाबालिग पुत्री के साथ फिर से एक साथ रहने को तैयार हुए और अदालत से मुस्कुराते हुए साथ-साथ निकले।