हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नाइजीरिया में ईसाइयों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए रक्षा विभाग को संभावित सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि यदि नाइजीरियाई सरकार अपनी जनता — विशेषकर ईसाई समुदाय — की रक्षा नहीं कर पाई तो अमेरिका को हस्तक्षेप करना पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हमला करेगा तो वह तेज़, सटीक और घातक होगा, जैसा कि वे आतंकवादियों के विरुद्ध करते हैं।
ट्रंप के इस बयान के बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने भी ट्वीट कर कहा कि हम तैयारी कर रहे हैं और या तो नाइजीरियाई सरकार अपने नागरिकों की रक्षा करे या हम उन आतंकवादियों को खत्म करेंगे जो अत्याचार के पीछे हैं। ट्रंप ने नाइजीरिया को धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन करने वाला देश बताते हुए उसे ‘कंट्री ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न (CPC)’ की सूची में डालने की बात कही है।
हालाँकि नाइजीरिया की वास्तविकता जटिल है। वहाँ हिंसा के कई घटनाक्रम धार्मिक आधार पर होने के साथ-साथ जमीन, पशु चरागाह और संसाधन संघर्षों से भी जुड़े हैं। कई रिपोर्टों के अनुसार न केवल ईसाई बल्कि मुस्लिम समुदाय के भी लोग प्रभावित होते हैं। नाइजीरियाई राष्ट्रपति बोला टिनूबू ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि देश में सभी धर्मों की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग कर रही है। उनके प्रेस सचिव ने बताया कि अमेरिका की आलोचना अतिशयोक्ति पर आधारित है और घरेलू परिस्थितियों का संपूर्ण चित्र प्रस्तुत नहीं करती।
विश्लेषकों का कहना है कि सैन्य हस्तक्षेप की स्थिति नाजुक और जोखिमपूर्ण होगी — जिसमें क्षेत्रीय अस्थिरता, कूटनीतिक तनाव और नागरिक सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। ऐसे किसी भी विकल्प के राजनीतिक, कानूनी और मानवीय परिणामों का व्यापक मूल्यांकन आवश्यक होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मामले की नजदीकी निगरानी करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों को मध्यस्थता कर संघर्ष का स्थायी राजनीतिक समाधान खोजने और मानवीय सहायता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए, ताकि क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति कायम रह सके।













