हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि फर्जी कागज़ात के आधार पर हुई नियुक्ति किसी भी स्थिति में क्षम्य नहीं है, चाहे आरोपी के खिलाफ पूरी departmental जांच न की गई हो। अदालत ने कहा कि सरकारी सेवा ईमानदारी और पारदर्शिता की मांग करती है, इसलिए जालसाजी सामने आने पर बर्खास्तगी को गलत नहीं कहा जा सकता।
यह फैसला दिल्ली के एक मामले में आया, जहां एक सिपाही की नियुक्ति कथित तौर पर जाली दस्तावेजों के आधार पर हुई थी। आरोप के अनुसार भर्ती प्रक्रिया के दौरान उसने अपने शैक्षिक प्रमाणपत्रों में हेरफेर किया था। मामला उजागर होने के बाद विभाग ने उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया। कर्मचारी ने दलील दी कि विभाग ने पूरी जांच किए बिना कार्रवाई की है, इसलिए बर्खास्तगी अमान्य है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर कहा कि नियुक्ति की नींव ही अगर फर्जी हो, तो आगे की जांच सिर्फ औपचारिकता रह जाएगी। अदालत ने यह भी जोड़ा कि जालसाजी कर नौकरी हासिल करना सिस्टम के साथ धोखा है और इसे किसी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
अदालत के इस फैसले को सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता को मजबूत करने वाला कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे फर्जीवाड़े के जरिए नौकरी पाने वालों पर प्रभावी रोक लगेगी और विभागीय जांचों में भी स्पष्टता आएगी। फैसले के बाद संबंधित विभाग ने कहा कि वे कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए आगे की कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।













