हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 29 अप्रैल: 2025,
बरेली/रामपुर। पासपोर्ट जैसे अहम दस्तावेज को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। रामपुर जिले के भोट थाना क्षेत्र के तालबपुर गांव निवासी आरिफ खान ने बरेली स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से फर्जी पहचान और दस्तावेजों के सहारे चार बार पासपोर्ट के लिए आवेदन किया। तीन बार वह सफल रहा लेकिन चौथी बार उसके खेल का पर्दाफाश हो गया। जन्मतिथि में 16 साल के अंतर ने पूरा मामला उजागर कर दिया। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, और खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय हो गई हैं।
पहला पासपोर्ट 2011 में बनवाया, फिर दो बार पहचान बदली
पासपोर्ट कार्यालय के अनुसार, आरिफ खान ने पहली बार 1 जून 2011 को पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, जिसमें उसका नाम आरिफ खान और जन्मतिथि 15 जनवरी 1983 दर्ज थी। पासपोर्ट की वैधता 31 मई 2021 तक थी। वैधता खत्म होने से पहले ही 10 मार्च 2021 को उसी नाम और जन्मतिथि से पासपोर्ट का नवीनीकरण कराया गया, जो अब 10 मार्च 2031 तक मान्य है।
तीसरे आवेदन में बदला नाम और जन्मतिथि
साल 2023 में आरिफ ने तीसरी बार पासपोर्ट के लिए आवेदन किया। इस बार उसने अपना नाम आलिम और जन्मतिथि 15 मार्च 1999 दर्शाई। साथ में नया आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज भी लगाए गए। पुलिस सत्यापन में ये दस्तावेज सही पाए गए और 13 मार्च 2023 को नया पासपोर्ट जारी कर दिया गया।
चौथी बार आवेदन में खुला फर्जीवाड़ा
आरिफ ने 10 अक्टूबर 2024 को चौथी बार पासपोर्ट बनवाने के लिए आवेदन किया। इस बार उसने नाम, माता-पिता का नाम, पता और जन्मतिथि सब बदल दिए। लेकिन जब आवेदन की जांच के लिए दस्तावेज रामपुर के भोट थाने भेजे गए, तो पुलिस को उसके फोटो पहले के रिकॉर्ड से मिलते-जुलते लगे। जन्मतिथि में 16 साल का अंतर देख अधिकारियों को शक हुआ। गहन जांच में पता चला कि आरिफ/आलिम एक ही व्यक्ति हैं और उन्होंने पहचान छिपाकर चार बार पासपोर्ट के लिए आवेदन किया है।
पुलिस ने दर्ज की रिपोर्ट, खुफिया एजेंसियां सतर्क
मामले की सूचना मिलने पर रामपुर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और जांच शुरू कर दी है। इस बात की भी जांच हो रही है कि इतने वर्षों में आरिफ ने इन पासपोर्ट का इस्तेमाल किन देशों की यात्रा के लिए किया और क्या वह किसी संदिग्ध नेटवर्क से जुड़ा हुआ है?
पासपोर्ट विभाग और पुलिस पर भी उठे सवाल
इस फर्जीवाड़े ने पासपोर्ट कार्यालय और पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ही थाने से हुए तीन बार पुलिस सत्यापन में आखिर कैसे आरिफ की पहचान नहीं पकड़ी गई? क्या इसमें कोई अंदरूनी लापरवाही या मिलीभगत थी, इसकी भी जांच होनी चाहिए।
पासपोर्ट अधिकारी का बयान
क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, “यह मामला मेरी तैनाती से पहले का है। नियमित जांच के दौरान जब गड़बड़ी सामने आई तो तुरंत रामपुर एसपी को सूचना दी गई। संभवत: पुलिस सत्यापन के आधार पर पासपोर्ट जारी किए गए होंगे। हमने सभी दस्तावेज पुलिस को सौंप दिए हैं, अब आगे की कार्रवाई पुलिस करेगी।”