हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
नई दिल्ली। भारत ने अंडमान–निकोबार द्वीप समूह के लगभग 572 निर्जन द्वीपों पर सेना की तैनाती पूरी कर ली है। यह क्षेत्र पहले से ही अंडमान निकोबार इंटीग्रेटेड कमान के नियंत्रण में है, जो देश की एकमात्र ट्राई-सर्विस कमांड है और इसमें थलसेना, नौसेना, वायुसेना के साथ तटरक्षक बल भी शामिल हैं। अब तीनों सेनाओं की संयुक्त उपस्थिति से यह इलाका सामरिक रूप से और अधिक मजबूत हो गया है।
अंडमान–निकोबार में सिर्फ 31 द्वीप आबाद हैं, जहां सेना पहले ही तैनात थी। पिछले कुछ वर्षों में सैन्य मौजूदगी को धीरे-धीरे बढ़ाते हुए अब सभी 572 निर्जन द्वीपों को कवर कर लिया गया है।
सामरिक महत्व क्यों बढ़ा?
अंडमान–निकोबार की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं इंडोनेशिया, म्यांमार और थाइलैंड के बेहद करीब हैं। यह इलाका मलक्का जलडमरूमध्य से भी जुड़ा है, जहां से दुनिया के 80% से अधिक समुद्री व्यापार का आवागमन होता है। इस वजह से भारत के लिए यह स्थान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त देता है।
चीन पर नजर रखने में मदद
चीन लंबे समय से हिंद महासागर में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है और अन्य देशों के द्वीपों पर केंद्र बनाने की खबरें भी सामने आती रही हैं। इसलिए भारत ने इन द्वीपों को समुद्री सुरक्षा के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना तेज कर दी है। यहां से गुजरने वाले चीनी पोतों पर निगरानी रखना आसान हो जाता है।
आतंकी खतरे से सुरक्षा
खुफिया रिपोर्टों में संकेत मिले थे कि कुछ निर्जन द्वीप भविष्य में आतंकियों के अड्डे बन सकते हैं। सेना की तैनाती से इस जोखिम को भी काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा।
हाइड्रोकार्बन भंडार का दोहन
मुख्य भारतीय भूभाग से लगभग 750 मील दूर स्थित इन द्वीपों के आसपास समुद्र में हाइड्रोकार्बन के बड़े भंडार मौजूद हैं। संबंधित एजेंसियों को दोहन कार्य सुचारू रूप से करने के लिए इन द्वीपों का विकास और सुरक्षा बेहद जरूरी है। सैन्य उपस्थिति से इस मिशन को भी गति मिलेगी।













