हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ सोमवार 2 जून 2025
मुरादाबाद : बकरीद 2025 को लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने पशु कुर्बानी का विरोध करते हुए इसे पशु क्रूरता और पर्यावरण प्रदूषण से जोड़कर गंभीर आपत्ति जताई है। परिषद के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. राजकमल गुप्ता ने कहा कि इस्लामिक त्योहार बकरीद के दौरान हजारों निरीह जानवरों की कुर्बानी दी जाती है, जिससे सड़कों पर खून और मांस के टुकड़े बिखरे रहते हैं, नालियों में खून बहता है और इससे पूरा माहौल दूषित होता है।
उन्होंने मांग की कि मुसलमान समुदाय को पशुओं की कुर्बानी छोड़कर सांकेतिक कुर्बानी करनी चाहिए। डॉ. गुप्ता ने कहा, “जब हिंदू मंदिरों में होने वाली बलि को पशु क्रूरता बताकर उस पर रोक लगा दी गई है, तो बकरीद पर लाखों जानवरों की हत्या पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए।”
‘दोहरे मापदंड क्यों?’ वीएचपी नेता का सवाल
वीएचपी नेता ने तथाकथित पर्यावरण प्रेमियों और बुद्धिजीवियों पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब दिवाली और होली जैसे हिंदू त्योहारों पर पर्यावरण का हवाला देकर ‘ईको-फ्रेंडली’ उत्सव मनाने की सलाह दी जाती है, तो बकरीद के मौके पर वही लोग चुप क्यों रहते हैं?” उन्होंने इसे दोहरा मापदंड करार दिया और कहा कि देश का सात्विक, शाकाहारी समाज इससे आहत और आक्रोशित है।
‘सड़क पर खून-मांस से होती है घिन, भावनाओं का हो सम्मान’
डॉ. गुप्ता ने कहा कि बकरीद के दिन जब सड़कों पर मांस और खून पड़ा होता है, तो शाकाहारी लोग घर से बाहर निकलने में असहज महसूस करते हैं। उन्होंने कहा, “जो हिंदू मांसाहारी नहीं हैं, उनकी भावनाओं का भी सम्मान होना चाहिए। हमारी आस्था को ठेस न पहुंचे, इसका ख्याल रखा जाना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब बड़े मंदिरों में सांकेतिक बलि की परंपरा शुरू हो गई है, जहां पशुओं की वास्तविक बलि नहीं दी जाती, बल्कि केवल प्रतीकात्मक रूप से पशु के कान में छेद किया जाता है। इसी तर्ज पर बकरीद पर भी प्रतीकात्मक कुर्बानी की जानी चाहिए।
न्यायपालिका से संज्ञान लेने की मांग
डॉ. राजकमल गुप्ता ने न्यायपालिका से भी अपील की कि वह इस मामले का संज्ञान ले और निरीह पशुओं की कुर्बानी पर रोक लगाए। उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान चलाएगी और जो ‘गलत परंपरा’ है, उसका खुलकर विरोध करेगी।