हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑16 मई : 2025
वृंदावन (मथुरा): सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन में प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर निर्माण को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने मंदिर के कोष का उपयोग जमीन अधिग्रहण के लिए करने की अनुमति दे दी है। इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार अब मंदिर कोष से 500 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कॉरिडोर निर्माण के लिए कर सकेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह शर्त भी रखी है कि अधिगृहित जमीन को देवता या मंदिर ट्रस्ट के नाम पर ही रजिस्टर्ड किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक निर्णय का साधु-संतों और बृजवासी समाज ने खुलकर स्वागत किया है। उनका मानना है कि इससे न केवल श्रद्धालुओं को दर्शन की बेहतर सुविधा मिलेगी, बल्कि वृंदावन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी विश्वभर में और अधिक फैलेगा।
स्वामी सत्यमित्रानंद जी महाराज ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का समर्थन करते हुए कहा कि मंदिर कोष का सदुपयोग होना चाहिए और इसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए ताकि कोई भी अनैतिक व्यक्ति इसका गलत इस्तेमाल न कर सके। उन्होंने सुझाव दिया कि जिन लोगों की जमीन या दुकानें इस कॉरिडोर में आएंगी, उन्हें सरकार की ओर से समुचित आश्रय मिलना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद करते हुए कहा कि विकास होना चाहिए, लेकिन बृजवासियों के हितों की भी अनदेखी नहीं होनी चाहिए।
स्वामी हरिकृष्णानंद जी महाराज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से भारत की आध्यात्मिक ताकत को नया बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह कॉरिडोर दुनिया भर के लोगों को वृंदावन की ओर आकर्षित करेगा और भारत को अध्यात्म का वैश्विक केंद्र बनाएगा।
हरिहर पीठाधिपति श्री हरिहर मुदगल जी महाराज ने इसे सभी सनातन धर्मावलंबियों के लिए सुखद समाचार बताया। उन्होंने कहा कि बांके बिहारी कॉरिडोर से दर्शनार्थियों को सुगमता से दर्शन का लाभ मिलेगा। साथ ही सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिन लोगों का विस्थापन हो रहा है, उन्हें उचित मुआवजा और पुनर्वास मिले, ताकि बृज का प्रेम और सांस्कृतिक समरसता बनी रहे।
आचार्य विनय कांत त्रिपाठी जी ने कहा कि वृंदावन में अब तक की स्थिति श्रद्धालुओं के लिए कठिन रही है। इस फैसले के बाद कॉरिडोर बनने से सुविधाएं बढ़ेंगी और देश-विदेश से आने वाले भक्तों को भी बेहतर अनुभव मिलेगा।
आचार्य पार्वती वल्लभ जी ने कहा कि आज मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, ऐसे में मंदिर और उसके परिसर का विकास समय की मांग है। उन्होंने कहा कि जहां-जहां कॉरिडोर बने हैं, वहां श्रद्धालुओं को अत्यधिक सुविधा मिली है। इस निर्णय से पूरे बृज क्षेत्र में संतोष और उत्साह की लहर है।
बांके बिहारी मंदिर उत्तर भारत का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां देश और विदेश से लाखों श्रद्धालु हर साल दर्शन के लिए आते हैं। कॉरिडोर योजना का उद्देश्य मंदिर तक पहुंच को सुगम बनाना, श्रद्धालुओं की भीड़ को व्यवस्थित करना और उन्हें बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। इस परियोजना के तहत मंदिर परिसर का विस्तार, श्रद्धालुओं के लिए प्रतीक्षा कक्ष, शौचालय, जल व्यवस्था, सुरक्षा, आपातकालीन सेवाएं और प्रशासनिक ढांचे का निर्माण प्रस्तावित है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार मंदिर कोष से 500 करोड़ रुपये का उपयोग जमीन अधिग्रहण में कर सकेगी। राज्य सरकार की ओर से पहले ही कॉरिडोर के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। अब अधिगृहित भूमि को मंदिर ट्रस्ट या देवता के नाम पर रजिस्टर्ड कराकर जल्द ही निर्माण कार्य शुरू किए जाने की संभावना है।