हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
मणिपुर की राजधानी इंफाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने राज्य में पिछले वर्ष शुरू हुए जातीय संघर्ष के बाद अपने पहले दौरे में एकता और सामाजिक समरसता का मजबूत संदेश दिया। भागवत ने जनजातीय समुदायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर मणिपुर की स्थिति और संघर्ष के कारणों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि संघ पिछले तीन वर्षों से लगातार राहत और समन्वय के कार्य कर रहा है, भले ही सरकार को इसकी जानकारी हो या न हो।

भागवत ने कहा कि भारत की स्थायी शक्ति सामाजिक एकता, पारस्परिक सम्मान और सांस्कृतिक मूल्यों में निहित है। उन्होंने अंबेडकर और बुद्ध के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व भारतीय चिंतन में सदियों से शामिल मूल्य हैं।
RSS प्रमुख ने स्पष्ट किया कि संघ न तो राजनीति करता है और न ही किसी राजनीतिक शक्ति को नियंत्रित करता है, बल्कि उसका लक्ष्य समाज को संगठित करना है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज की समस्याएं राष्ट्र की समस्याएं हैं और संवाद एवं संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से ही समाधान संभव है।
भागवत ने युवाओं से आग्रह किया कि भारत कोई नया बना राष्ट्र नहीं, बल्कि यह मजबूत परिवार व्यवस्था और उत्तम संस्कारों की नींव पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी प्राचीन सभ्यता और सांस्कृतिक आत्मविश्वास के साथ विश्व को मार्गदर्शन देने में सक्षम है।
उन्होंने कहा कि सभी समुदाय अपनी पहचान बनाए रखते हुए यदि एक समान सोच की दिशा में आगे बढ़ें तो मणिपुर में शांति तेजी से स्थापित हो सकती है। भागवत ने भारत की विरासत को “हिंदू विरासत” बताते हुए कहा कि इसे भारतीय विरासत भी कहा जा सकता है, क्योंकि यह सदियों पुराना सांस्कृतिक स्वरूप है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत का भौगोलिक आकार समय-समय पर बदलता रहा है। 1947 से पहले भारत बड़ा था, भविष्य में 2047 के बाद फिर बड़ा हो सकता है। लेकिन भारत की सांस्कृतिक पहचान और अस्तित्व हमेशा कायम रहेगा।













