हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
भारत में बड़ी संख्या में किसान ऐसे हैं जो छोटी जोत पर या फिर दूसरों की जमीन पर खेती कर अपनी रोज़ी-रोटी चलाते हैं। इन किसानों की आर्थिक स्थिति अक्सर कमजोर रहती है। ऐसे ही किसानों की मदद के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan) शुरू की है, जिसके तहत पात्र किसानों को हर साल ₹6,000 की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह रकम तीन किस्तों में सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है।
लेकिन एक बड़ा सवाल हमेशा सामने आता है—क्या वे किसान जो खुद की जमीन नहीं रखते और दूसروں की जमीन पर खेती करते हैं, इस योजना का लाभ ले सकते हैं?
सरकार के नियम इस मामले में बहुत स्पष्ट हैं। पीएम किसान योजना का लाभ सिर्फ उन किसानों को दिया जाता है जिनके नाम पर कृषि योग्य जमीन दर्ज होती है। यानी बटाईदार, पट्टेदार या किरायेदार के रूप में खेती करने वाले किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिलता। इसका कारण यह है कि योजना की पात्रता पूरी तरह रेवेन्यू रिकॉर्ड पर आधारित है। जब तक जमीन सरकारी अभिलेखों में किसान के नाम दर्ज न हो, उसे “पात्र किसान” की सूची में शामिल नहीं किया जाता। इसलिए खेत में काम करने मात्र से पात्रता नहीं मिलती, बल्कि जमीन का मालिकाना हक होना जरूरी है।
हालांकि, अगर किसी बटाईदार या मजदूर के पास अपनी थोड़ी-सी भी जमीन है, तो वह इस भूमि के आधार पर योजना का लाभ प्राप्त कर सकता है। जमीन का आकार छोटा हो या बड़ा, पात्रता सिर्फ स्वामित्व पर आधारित रहती है।
पीएम किसान में वही किसान शामिल हो सकते हैं जिनके नाम पर कृषि योग्य भूमि दर्ज है, चाहे वे सीमांत हों या छोटे किसान। योजना का लाभ पाने के लिए बैंक खाता आधार से लिंक होना, ई-केवाईसी पूरा होना और भूमि सत्यापन सही होना अनिवार्य है।
ग्रामीण इलाकों में अक्सर जमीन साझा होती है, ऐसे में केवल वही सदस्य लाभ के पात्र होते हैं जिनका नाम रिकॉर्ड में स्पष्ट रूप से दर्ज होता है। जिनके पास अपनी जमीन नहीं है और वे पूरी तरह दूसरों की जमीन पर खेती करते हैं, उन्हें इस योजना का लाभ नहीं दिया जाता।













