हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ सोमवार 2 जून 2025
हाथरस। नगर पालिका परिषद, हाथरस में ठेकेदारों से साठगांठ कर टेंडर प्रक्रिया में भारी अनियमितताओं का मामला सामने आया है। जलकल विभाग के अवर अभियंता हर्षवर्धन पर फर्जी एफडीआर (फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद) तैयार कर उन्हें टेंडर की धरोहर राशि के रूप में लगाने और बैंकों की नकली मोहर लगाकर फर्जी सत्यापन करने के गंभीर आरोप सिद्ध हुए हैं।
शिकायतकर्ता प्रशांत कौशिक द्वारा 10 मार्च को हर्षवर्धन के खिलाफ पद का दुरुपयोग करने की शिकायत दर्ज कराई गई थी। जांच में पाया गया कि हर्षवर्धन ठेकेदारों से मिलीभगत कर स्वयं के स्तर से फर्जी एफडीआर बनवाते थे और उन्हें टेंडर प्रक्रिया में लगवाते थे। इसके अतिरिक्त, विभिन्न फर्मों को बिना सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के ही धरोहर राशि की एफडीआर वापस कर दी जाती थी।
जिलाधिकारी के आदेश पर अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने इस मामले की गहन जांच की। जांच आख्या में हर्षवर्धन को पद का दुरुपयोग करते हुए निजी स्वार्थवश अनुचित लाभ प्राप्त करने का दोषी पाया गया। समिति ने यह भी पाया कि निविदा दस्तावेजों में साजिशन फर्जी एफडीआर संलग्न की गईं और नियमों की अनदेखी करते हुए धनराशि लौटाई गई।
इस गंभीर घोटाले के चलते नगर पालिका परिषद हाथरस के अधिशासी अधिकारी रोहित सिंह की ओर से अवर अभियंता जलकल हर्षवर्धन के खिलाफ कोतवाली हाथरस गेट में बीएनएस की धारा 318(2), 318(4), 336(2), 338, 336(3), 340(2), 61(2) के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है।
गौरतलब है कि हर्षवर्धन पहले भी वित्तीय वर्ष 2023-24 में हैंडपंप स्थापना से जुड़ी माप पुस्तिकाओं में हेराफेरी कर ₹5,30,586 का अतिरिक्त भुगतान कराने के मामले में निलंबित हो चुके हैं। उस समय भी उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की संस्तुति की गई थी।