हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ मंगलवार 27 मई 2025
आगरा में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय की पत्नी प्रीति उपाध्याय के नाम और फोटो का दुरुपयोग कर दो फर्जी फेसबुक आईडी बनाई गई हैं। इन आईडी के माध्यम से अलग-अलग लोगों से चैटिंग की जा रही है, जिससे मंत्री की पत्नी और उनके परिवार को गंभीर सुरक्षा खतरा उत्पन्न हो गया है। इस मामले की जानकारी मिलने के बाद प्रीति उपाध्याय ने पुलिस से शिकायत की है, जिसके बाद साइबर क्राइम थाना पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है।
नाॅर्थ ईदगाह काॅलोनी निवासी प्रीति उपाध्याय ने शिकायती पत्र में बताया है कि कुछ अज्ञात लोगों ने उनके नाम और फोटो का उपयोग कर फेसबुक पर दो फर्जी आईडी बना ली हैं। इन आईडी से विभिन्न लोगों को मैसेज और चैटिंग की जा रही है, जिससे उनके सामाजिक प्रतिष्ठा और सुरक्षा पर असर पड़ रहा है। प्रीति ने कहा है कि इन फर्जी आईडी से उत्पन्न होने वाली चैटिंग से जनता में भ्रम फैल रहा है और साजिशकर्ता किसी बड़े अपराध को अंजाम भी दे सकते हैं।
उन्होंने पुलिस से आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग की है ताकि उनके और उनके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
डीसीपी सिटी सोनम कुमार ने इस मामले पर कहा कि फर्जी फेसबुक आईडी बनाने वाले अपराधियों की पहचान के लिए जानकारी जुटाई जा रही है। साइबर क्राइम थाना की टीम को मामले की जांच के लिए लगाया गया है। जल्द ही आरोपी पकड़े जाएंगे और इस तरह के साइबर अपराधों पर लगाम लगाई जाएगी।
फर्जी आईडी बनाने की पुरानी घटनाएं
फेसबुक पर फर्जी आईडी बनाकर लोगों को भ्रमित करना और धोखाधड़ी करना कोई नया मामला नहीं है। आगरा में पहले भी कई उच्च पदस्थ अधिकारियों के नाम से फर्जी आईडी बनाई जा चुकी हैं। एत्मादपुर विधानसभा के भाजपा विधायक धर्मपाल सिंह, पुलिस अधिकारी आईपीएस, सीओ और इंस्पेक्टर के नाम से भी ऐसे फर्जी आईडी बनाये गए हैं। इन फर्जी आईडी से लोगों को संदेश भेजकर पैसे की मांग की जाती है या गलत जानकारी फैलाई जाती है।
साइबर अपराधी आमतौर पर असली आईडी से फोटो और नाम लेकर फर्जी आईडी बनाते हैं और इसका दुरुपयोग करते हैं। हालांकि पुलिस ने इन मामलों में जांच तो की है, लेकिन अब तक फर्जी आईडी बनाने वालों को पकड़ने में सफलता नहीं मिली है।
फर्जी आईडी से न केवल निजी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है, बल्कि यह साइबर अपराध की एक बड़ी चुनौती भी है। इससे न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा प्रभावित होती है, बल्कि सामाजिक विश्वास भी कमजोर होता है। ऐसे अपराधी किसी भी समय बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, ठगी या अन्य आपराधिक गतिविधि को अंजाम दे सकते हैं।