हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 17 अप्रैल: 2025,
लखनऊ, 17 अप्रैल – उत्तर प्रदेश की सियासत में दलित वोट बैंक को लेकर एक बार फिर गर्मा-गर्मी तेज हो गई है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती द्वारा समाजवादी पार्टी (सपा) पर लगाए गए आरोपों के बाद, सपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। सपा प्रवक्ता मनोज यादव ने मायावती के आरोपों को “झूठा, निराधार और भ्रम फैलाने वाला” बताया।
मायावती के ट्वीट्स से मचा सियासी घमासान
मायावती ने हाल ही में एक के बाद एक ट्वीट्स के माध्यम से समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाए कि वह दलितों को “उकसाकर” और “तनाव फैलाकर” अपने राजनीतिक हित साधना चाहती है। उन्होंने दलित, पिछड़े और मुस्लिम समुदाय से सपा के “बहकावे में न आने” की अपील भी की।
सपा ने बताया आरोपों को ‘सियासी बौखलाहट’
इन आरोपों पर पलटवार करते हुए सपा प्रवक्ता मनोज यादव ने कहा, “जो बातें मायावती ने कही हैं, वे सिर्फ भ्रम फैलाने के लिए हैं। समाजवादी पार्टी हमेशा दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों के साथ खड़ी रही है। मायावती जी के आरोप सियासी डर और बौखलाहट का नतीजा हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अगर सपा दलितों को जोड़ने की कोशिश कर रही है तो इसमें किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। “हर राजनीतिक दल हर वर्ग को अपने पक्ष में करना चाहता है, फिर सपा पर आपत्ति क्यों?” – यादव ने सवाल उठाया।
दलितों पर हो रहे अत्याचार पर मायावती की चुप्पी पर सवाल
सपा प्रवक्ता ने मायावती की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “जब उत्तर प्रदेश में दलित बहन-बेटियों पर अत्याचार होते हैं—चाहे वह हत्या हो, बलात्कार हो या भेदभाव—तो मायावती जी चुप क्यों रहती हैं? सपा का कर्तव्य है कि जब भी अत्याचार होगा, वह सबसे पहले आवाज उठाएगी।”
दलित वोट बैंक बना चुनावी रण का केंद्र
यह पूरा विवाद उस समय उभरा है जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और दलित वोट बैंक को लेकर सभी प्रमुख दल सक्रिय हो चुके हैं। बीएसपी और सपा दोनों दल दलितों को अपने साथ जोड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। मायावती और अखिलेश यादव की पार्टियों के बीच तीखी जुबानी जंग इस बात का संकेत है कि दलित राजनीति एक बार फिर यूपी चुनावी अखाड़े का मुख्य मुद्दा बनने जा रही है।