हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
अलीगढ़, 17 दिसम्बर 2025। रबी मौसम की फसलों को कीट एवं रोगों से सुरक्षित रखने के लिए उप कृषि निदेशक, कृषि रक्षा सतीश मलिक की ओर से किसानों के लिए विस्तृत सलाह जारी की गई है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे समय पर खेतों का निरीक्षण करें और बताए गए उपायों को अपनाकर फसलों की पैदावार को सुरक्षित रखें।
डीडी कृषि रक्षा ने बताया कि इस समय गेहूं की फसल में चौड़ी और संकरी पत्ती वाले खरपतवार जैसे चटरी-मटरी, कृष्णनील, बथुआ, फेलेरिस माइनस एवं जई का प्रकोप देखने को मिलता है। इनके नियंत्रण के लिए चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों हेतु मैटसल्फ्यूरान मिथाइल 20 प्रतिशत डब्ल्यूपी 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर, 2,4-डी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत 625 ग्राम या कारफेन्ट्राजोन इथाइल 40 प्रतिशत डीएफ 50 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है। वहीं संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए सल्फोस्ल्फ्यूरान 75 प्रतिशत डब्ल्यूजी 33 ग्राम प्रति हेक्टेयर अथवा संकरी और चौड़ी दोनों पत्तियों के लिए सल्फोस्ल्फ्यूरान 75 प्रतिशत व मैटसल्फ्यूरान 5 प्रतिशत डब्ल्यूजी का मिश्रण 25-30 दिन या पहली सिंचाई के बाद छिड़काव करने को कहा गया है।
उन्होंने बताया कि आलू में अगेती व पछेती झुलसा, चना, मसूर और मटर में सेमीलूपर, फली वेधक और पत्ती धब्बा रोग तथा सरसों में माहू और अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग की संभावना रहती है। आलू में झुलसा रोग के नियंत्रण के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड, मैटालैक्सिल व मैन्कोजैब या डाइमेथोमॉर्फ व पायराक्लोस्ट्रोबिन में से किसी एक दवा का 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है।
सरसों की पछेती फसल में माहू नियंत्रण के लिए एजाडिरैक्टिन या डाइमैथोएट तथा दलहनी फसलों में सेमीलूपर के लिए जैव कीटनाशी, एजाडिरैक्टिन या मैलाथियान के प्रयोग की सिफारिश की गई है। साथ ही प्रति हेक्टेयर 50-60 लकड़ी के बर्ड परचर लगाने की भी सलाह दी गई है, जिससे पक्षी सूंडियों को खाकर प्राकृतिक नियंत्रण कर सकें।
उप कृषि निदेशक ने किसानों से कहा है कि कीट-रोग की समस्या होने पर मोबाइल नंबर 9452257111 एवं 9452247111 पर व्हाट्सएप के माध्यम से संपर्क कर 48 घंटे के भीतर समाधान प्राप्त किया जा सकता है।













