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यमुना प्रदूषण पर दिल्ली सरकार सख्त: मंत्री प्रवेश वर्मा

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 20 अप्रैल: 2025,

नई दिल्ली, 20 अप्रैल:
दिल्ली में यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर राज्य सरकार की चिंता गहराती जा रही है। रविवार को कोरोनेशन पिलर एसटीपी (STP) का निरीक्षण करते हुए दिल्ली सरकार में मंत्री प्रवेश वर्मा ने यमुना प्रदूषण के लिए हरियाणा से आ रहे सीवेज और इंडस्ट्रियल वेस्ट को जिम्मेदार ठहराया।

“हरियाणा का सीवेज साफ करना हमारा काम नहीं” – प्रवेश वर्मा

मंत्री वर्मा ने साफ कहा कि हरियाणा से आ रहे गंदे पानी को साफ करना दिल्ली का दायित्व नहीं है। उन्होंने कहा,

“हरियाणा सरकार को अपने यहां STP लगाकर गंदे पानी की सफाई करनी चाहिए। हम दिल्ली का सीवेज साफ करेंगे, लेकिन हरियाणा का नहीं।”

उन्होंने ये भी जानकारी दी कि इस मुद्दे को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मीटिंग की जाएगी, ताकि एक स्थायी समाधान निकाला जा सके।

दिल्ली के STP प्लांट्स की पूरी क्षमता से होगी मॉनिटरिंग

प्रवेश वर्मा ने यह भी कहा कि दिल्ली के सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) को उनकी पूरी क्षमता पर चलाया जाएगा और BOD व COD स्तर को नियंत्रित किया जाएगा।

“अगर हम दिल्ली के सारे सीवेज को ट्रैप कर लें, तो यमुना साफ हो जाएगी,” उन्होंने कहा।

अनऑथराइज्ड इंडस्ट्रीज़ पर होगी सख्त कार्रवाई

प्रवेश वर्मा ने यह भी संकेत दिया कि दिल्ली में चल रही अवैध औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। ये इंडस्ट्रीज़ अक्सर बिना किसी ट्रीटमेंट के प्रदूषित जल सीधे यमुना में छोड़ देती हैं।

कालिंदी कुंज में फिर दिखा झाग, विशेषज्ञों ने जताई चिंता

शुक्रवार (18 अप्रैल) को कालिंदी कुंज के पास यमुना नदी की सतह पर एक बार फिर झाग की परत देखी गई। विशेषज्ञों का कहना है कि झाग बनने की यह recurring समस्या है, जिसका मुख्य कारण अपशिष्ट जल में मौजूद घुले हुए कार्बनिक पदार्थ और रसायन हैं।

दिल्ली जल बोर्ड के एक क्वालिटी कंट्रोल अधिकारी ने बताया,

“जलकुंभी, सूखी पत्तियां और दूसरी वनस्पतियां जब सीवेज के साथ मिलती हैं, तो झाग बनने लगता है।”

निष्कर्ष: यमुना को साफ करने के लिए अंतर-राज्यीय सहयोग अनिवार्य

दिल्ली सरकार की ओर से यमुना की सफाई को लेकर गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन जब तक हरियाणा से आने वाला औद्योगिक और घरेलू कचरा नियंत्रित नहीं किया जाता, तब तक यह प्रयास अधूरे रहेंगे। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि दिल्ली और हरियाणा सरकारें इस साझा संकट से निपटने के लिए कैसे कदम उठाती हैं।

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