हिन्दुस्तान मिरर न्यूज-
पटना, 10 अगस्त
बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर उठे विवाद के बीच चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए साफ किया है कि राज्य में किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना पूर्व सूचना, सुनवाई का अवसर और सक्षम अधिकारी के तर्कपूर्ण आदेश के बिना मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा। आयोग ने भरोसा दिलाया कि हर योग्य मतदाता का नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल कराने के लिए सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं और इसके लिए सख्त निर्देश जारी किए गए हैं।
विवाद की पृष्ठभूमि
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने आरोप लगाया कि बिहार में एसआईआर के दौरान 65 लाख मतदाताओं को गलत तरीके से सूची से बाहर कर दिया गया है। इस पर 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। अब इस मामले पर 12 अगस्त को फिर सुनवाई होगी।
पहला चरण पूरा, प्रारूप सूची जारी
चुनाव आयोग ने अपने अतिरिक्त हलफनामे में बताया कि एसआईआर का पहला चरण पूरा हो चुका है और 1 अगस्त 2025 को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित कर दी गई है। यह चरण बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा घर-घर जाकर मतदाताओं के नाम और आवश्यक फॉर्म जुटाने के बाद संपन्न हुआ।
कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ लोगों ने अपने नाम की पुष्टि की या फॉर्म जमा किए। इस अभियान में बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचन पंजीकरण पदाधिकारी, 77,895 बीएलओ, 2.45 लाख स्वयंसेवक और 1.60 लाख बूथ स्तर एजेंट सक्रिय रूप से शामिल रहे।
छूटे मतदाताओं के लिए विशेष व्यवस्था
आयोग ने बताया कि राजनीतिक दलों को समय-समय पर छूटे हुए मतदाताओं की सूची उपलब्ध कराई गई, ताकि नाम समय रहते जोड़े जा सकें। प्रवासी मजदूरों के लिए 246 अखबारों में हिंदी में विज्ञापन जारी किए गए। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से फॉर्म भरने की सुविधा दी गई।
शहरी क्षेत्रों में विशेष पंजीकरण कैंप आयोजित किए गए। युवाओं के अग्रिम पंजीकरण की व्यवस्था की गई, वहीं वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और कमजोर वर्गों के लिए 2.5 लाख स्वयंसेवक तैनात किए गए।
पारदर्शिता और आपत्ति प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि किसी भी नाम को प्रारूप सूची से हटाने से पहले नोटिस जारी करना, सुनवाई का अवसर देना और सक्षम अधिकारी का कारणयुक्त आदेश आवश्यक होगा। प्रारूप सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज करने की अवधि 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तय की गई है। इसके लिए ऑनलाइन और प्रिंट दोनों प्रारूप उपलब्ध कराए गए हैं।
आयोग ने कहा कि पारदर्शिता और जनजागरूकता के लिए रोजाना प्रेस विज्ञप्तियां जारी की जा रही हैं, ताकि कोई भी पात्र मतदाता अंतिम सूची से वंचित न रह जाए।