हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: शनिवार 14 जून 2025
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बढ़ती गर्मी के साथ बिजली कटौती ने पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा रखा है। गांवों से लेकर शहरों तक बिजली की समस्याओं ने उपभोक्ताओं को परेशान कर दिया है। केबल जलने, ट्रिपिंग, लो वोल्टेज और ट्रांसफार्मर खराब होने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रोस्टर से करीब एक घंटे कम बिजली आपूर्ति हो रही है, जबकि शहरों में भी हालात बेहतर नहीं हैं।
बिजली कटौती का असर प्रदेश में तापमान बढ़ने के साथ बिजली की मांग भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। 10 जून को 31,242 मेगावाट, 11 जून को 31,486 मेगावाट, 12 जून को 31,415 मेगावाट और 13 जून को 31,420 मेगावाट की मांग दर्ज की गई। इस बढ़ती मांग के बीच बिजली कटौती ने उपभोक्ताओं की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ग्रामीण इलाकों में निर्धारित 18 घंटे की जगह 17.31 घंटे, नगर पंचायतों में 21.30 घंटे की जगह 20.45 घंटे, तहसीलों में 21.30 घंटे की जगह 21 घंटे और बुंदेलखंड में 20 घंटे की जगह 19 घंटे बिजली मिल रही है। हालांकि, जिला मुख्यालयों में 24 घंटे आपूर्ति का दावा किया जा रहा है।
ट्रांसफार्मर जलने की समस्या बिजली कटौती का प्रमुख कारण ट्रांसफार्मर का ओवरलोड होना और जलना है। कई स्थानों पर ट्रांसफार्मर खराब होने के बाद भी समय पर नहीं बदले जा रहे। गोंडा के धानेपुर में तीन दिन, कुशीनगर के कप्तानगंज में चार दिन, गाजीपुर के दयालपुर में चार दिन और फतेहपुर के अमौर में 20 दिन से जला ट्रांसफार्मर नहीं बदला गया। उपभोक्ताओं का कहना है कि शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
अभियंताओं की दोहरी मुश्किल पावर कॉर्पोरेशन के अभियंताओं ने बताया कि बढ़ती मांग और तापमान के कारण ट्रांसफार्मर ओवरलोड हो रहे हैं। उन्हें ठंडा रखने के इंतजाम अपर्याप्त हैं, जिसके चलते फीडरवार कटौती की जा रही है। अभियंताओं का कहना है कि ट्रांसफार्मर जलने की घटनाओं के आंकड़े बढ़ने पर कार्रवाई की धमकी दी जाती है, जिसके चलते कई बार ट्रांसफार्मर बदलने में देरी होती है। साथ ही, उपभोक्ताओं के गुस्से का भी सामना करना पड़ता है।
उपभोक्ताओं का आक्रोश बिजली कटौती के खिलाफ प्रदेश के कई हिस्सों में उपकेंद्र घेरने और धरना-प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं। ग्रामीण इलाकों में कारखाने ठप हो गए हैं, और सिंचाई न होने से सब्जी की खेती प्रभावित हो रही है। उपभोक्ताओं का कहना है कि बिजली आती भी है तो बार-बार कटौती होती रहती है। पावर कॉर्पोरेशन के दावे आधे घंटे की कटौती के हैं, लेकिन लोकल फॉल्ट घंटों तक बने रहते हैं।
सोशल मीडिया पर भी गुस्सा एक्स पर कई यूजर्स ने बिजली कटौती को लेकर नाराजगी जाहिर की है। एक यूजर ने लिखा, “दोपहर 12 बजे से 5 बजे तक 10 बार से ज्यादा कटौती हुई।” एक अन्य ने कहा, “भीषण गर्मी में हर घंटे बिजली कटौती पीड़ा का कारण बनी है।
आधिकारिक दावा हालांकि, पावर कॉर्पोरेशन का दावा है कि 8 जून को 30,161 मेगावाट की मांग को सकुशल पूरा किया गया और निर्धारित शेड्यूल के अनुसार बिजली आपूर्ति की जा रही है। इसके बावजूद, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है।