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लखनऊ के एक ही परिवार के पांच लोगों की जयपुर में सड़क हादसे में मौत

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 14अप्रैल: 2025,

नाती के जन्मदिन पर मनी खुशियां, सुबह हादसे ने छीन ली पूरी दुनिया

लखनऊ का एक परिवार जयपुर में दर्दनाक सड़क हादसे का शिकार हो गया। रविवार सुबह जयपुर के मनोहरपुर-दौसा हाईवे पर हुए इस हादसे में लखनऊ के ठाकुरगंज के मुसाहिबगंज निवासी एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई।

खाटू श्याम मंदिर जा रहे थे, सामने से आ रहे ट्रेलर ने ली जान

परिवार शनिवार को खाटू श्याम मंदिर के दर्शन के लिए रवाना हुआ था। रास्ते में सुबह करीब 8 बजे उनकी कार की भिड़ंत एक गलत दिशा से आ रहे ट्रेलर से हो गई। टक्कर इतनी भीषण थी कि कार और ट्रेलर दोनों सड़क किनारे खंती में पलट गए।

हादसे में एचसीएल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर अभिषेक सिंह (32), उनकी पत्नी प्रियांशी (33), छह माह की बेटी श्री, पिता सत्यप्रकाश (65) और मां रमादेवी (63) की मौके पर ही मौत हो गई।

दो गाड़ियों में सफर कर रहा था परिवार, दूसरी कार में बच गए रिश्तेदार

हादसे के वक्त अभिषेक की बहन रश्मि, उनके पति मयंक और बच्चे दूसरी कार में आगे चल रहे थे। जब उन्हें अभिषेक की कार नजर नहीं आई तो उन्होंने कॉल किया। कोई जवाब न मिलने पर उन्होंने यूटर्न लेकर देखा तो थोड़ी ही दूर पर कार हादसे का शिकार हो चुकी थी।

ससुर को कॉल किया, जवाब नहीं मिला तो हुआ अनहोनी का अंदेशा

मयंक ने जैसे ही यह भयावह दृश्य देखा, तुरंत पुलिस को सूचना दी। रायसर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और कार में फंसे सभी लोगों को बाहर निकाला, लेकिन तब तक सभी की मौत हो चुकी थी।

घर में मचा कोहराम, मोहल्ले में पसरा मातम

सुबह करीब 9 बजे मयंक ने लखनऊ स्थित परिजनों को हादसे की खबर दी। जैसे ही खबर पहुंची, पूरा मोहल्ला स्तब्ध रह गया। लोग सत्यप्रकाश के घर पर जमा हो गए।

सत्यप्रकाश हजरतगंज स्थित एक कंपनी में मैनेजर थे, जबकि प्रियांशी बैंक ऑफ बड़ौदा, गोमतीनगर में मैनेजर थीं। दोनों ही बहुत मिलनसार और प्रिय व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते थे।

एक महीने में दो भाइयों की मौत, फिर टूटा परिवार

इस हादसे से पहले, एक माह पहले ही सत्यप्रकाश के भाई सूर्यप्रकाश की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। परिवार अभी उस सदमे से उबरा भी नहीं था कि अब यह हादसा हो गया।

घटनास्थल पर पहुंचे अभिषेक के भाई हिमांशु हादसे की खबर सुनते ही अचेत हो गए। लोगों ने किसी तरह उन्हें संभाला और फिर वे शवों को लेने जयपुर रवाना हुए।

भतीजी की नजर न लगे, इसलिए नहीं खिंचवाती थीं फोटो

अभिषेक की चचेरी बहन निरुपमा ने बताया कि भाभी प्रियांशी बेटी श्री की तस्वीर नहीं खिंचवाती थीं, ताकि उसे नजर न लगे। लेकिन किसी को क्या पता था कि ऐसी अनहोनी सामने होगी।

परिवार श्री का अगले महीने मुंडन कराने की तैयारी कर रहा था। साथ ही, सोमवार को पुश्तैनी गांव में एक और बच्चे अमृत का मुंडन था, जिसके लिए पूरा परिवार वहां पहुंचने वाला था।

हंसमुख और जिम्मेदार थे अभिषेक, परिवार का सहारा अब नहीं रहा

अभिषेक के ताऊ चंद्रप्रकाश ने बताया कि अभिषेक बहुत होनहार, जिम्मेदार और सरल स्वभाव के युवक थे। उनका हंसमुख मिजाज सबको भाता था। उनकी असमय मौत ने न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरे मोहल्ले को गहरे सदमे में डाल दिया है।

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