हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
केंद्र सरकार ने देश के 29 पुराने श्रम कानूनों को हटाकर उनकी जगह चार नए लेबर कोड लागू कर दिए हैं। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कामगारों के हित में उठाया गया ऐतिहासिक कदम बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इसे आज़ादी के बाद सबसे बड़े और प्रगतिशील श्रमिक-केंद्रित सुधारों में से एक करार दिया। सरकार का कहना है कि बदलते आर्थिक माहौल और कार्यशैली के अनुसार श्रम कानूनों को आधुनिक बनाना आवश्यक था।
चार नए कोड—वेतन संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य परिस्थितियाँ संहिता—अब सभी श्रमिकों को अधिक अधिकार, सुरक्षा और पारदर्शिता प्रदान करेंगे। नए प्रावधानों के तहत हर कर्मचारी को जॉइनिंग के समय अप्वाइंटमेंट लेटर देना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे कंपनियों की मनमानी पर रोक लगेगी। असंगठित क्षेत्र के लगभग 40 करोड़ कामगार भी अब सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आएंगे और पीएफ, ईएसआईसी व पेंशन जैसी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।
फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉई (FTE) के लिए बड़ा बदलाव किया गया है। अब कर्मचारियों को सिर्फ एक साल की सेवा के बाद ही ग्रैच्युटी का लाभ मिलेगा, जबकि पहले इसके लिए पांच साल की सेवा जरूरी थी। अतिरिक्त काम की स्थिति में कर्मचारियों को सामान्य वेतन के दोगुने ओवरटाइम का भुगतान अनिवार्य होगा।
महिला कर्मचारियों के लिए समान काम का समान वेतन सुनिश्चित किया गया है। सुरक्षा और सहमति की शर्त पर अब महिलाएं रात की शिफ्ट में भी काम कर सकेंगी। इससे उन्हें बेहतर अवसर मिलेंगे। वहीं, जोमैटो, स्विगी, उबर, ओला जैसे ऐप-आधारित प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले गिग वर्कर्स को पहली बार कानूनी पहचान मिली है। कंपनियों को उनके कल्याण के लिए अपने वार्षिक टर्नओवर का 1–2% हिस्सा एक वेलफेयर फंड में देना होगा।
40 वर्ष से अधिक उम्र वाले सभी कर्मचारियों के लिए वार्षिक मुफ्त स्वास्थ्य जांच अनिवार्य की गई है। खतरनाक कार्य क्षेत्रों में काम करने वालों के लिए पूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। सरकार का दावा है कि ये सुधार 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।













