हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
गाजियाबाद में तैनात राज्य कर अधिकारी रेनू पांडेय को 3.5 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई आयुक्त राज्य कर डॉ. नितिन बंसल द्वारा जारी आदेश के तहत की गई। निलंबन का आधार उस ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग को बनाया गया है, जिसमें प्रथम दृष्टया घूस लेने के प्रमाण सामने आए।
आरोप और शिकायत की पृष्ठभूमि
शिकायत के अनुसार, 12 जुलाई 2025 की रात लखनऊ में मैसर्स बडी इंटरप्राइजेज की गाड़ी (पंजाब नंबर UP-25 ET 2138) को रोका गया था। इसी संदर्भ में 3.5 लाख रुपये की रिश्वत दी गई थी। शिकायतकर्ता ने इस मामले में फोन कॉल की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग भी सबूत के तौर पर प्रस्तुत की।
निलंबन और जांच प्रक्रिया
निलंबन आदेश में कहा गया है कि मामले की जांच उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के नियम-7 के अंतर्गत की जाएगी। इस जांच की जिम्मेदारी वाराणसी स्थित संयुक्त आयुक्त, विशेष अनुसंधान शाखा मनोज कुमार सिंह को सौंपी गई है। निलंबन अवधि के दौरान रेनू पांडेय आजमगढ़-वाराणसी जोन से संबद्ध रहेंगी।
पहले भी रही विवादों में सुर्खियों में
यह मामला और भी चर्चित इसलिए है क्योंकि रेनू पांडेय पहले भी चर्चा में रह चुकी हैं। उन्होंने नोएडा के अपर आयुक्त, आईएएस संदीप भागीय पर गंभीर आरोप लगाए थे। पांडेय ने दावा किया था कि भागीय उन्हें उत्पीड़ित करते थे, छुपकर देखते थे, गंदी बातें करते थे और रात में वीडियो कॉल कर परेशान करते थे। इन आरोपों ने विभागीय कार्यशैली और अधिकारियों के बीच तनाव को उजागर किया था।
रेनू पांडेय का यह निलंबन राज्य कर विभाग में बड़ा कदम माना जा रहा है। रिश्वतखोरी के आरोपों के साथ-साथ विभागीय अधिकारियों के बीच पहले से मौजूद विवाद और भी गहराते दिख रहे हैं। अब देखना होगा कि जांच अधिकारी मनोज कुमार सिंह की रिपोर्ट में क्या निष्कर्ष निकलते हैं और विभाग इस प्रकरण में आगे क्या सख्त कदम उठाता है।