हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
अमेरिका में H-1B वीजा की नई फीस बढ़ने से भारतीय पेशेवरों पर बड़ा असर पड़ने की उम्मीद है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा शुल्क को पहले 2,000–5,000 डॉलर से बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) कर दिया है। यह वृद्धि भारतीय H-1B कर्मचारियों की औसत सालाना आय से भी ज्यादा है।
ब्लूमर्ग के 2024 के H-1B आवेदनों के डेटासेट के अनुसार, भारतीय कर्मचारियों की औसत सालाना आय 95,500 डॉलर थी, जो सभी देशों में सबसे कम थी। इस आधार पर लगभग 60 फीसदी भारतीय कर्मचारियों की सालाना कमाई नई फीस से भी कम है। इनमें करीब 12 फीसदी की आय 75,000 डॉलर से कम थी, जबकि 47 फीसदी की आय 75,000 से 1 लाख डॉलर के बीच थी। केवल 40 फीसदी भारतीयों की कमाई 1 लाख डॉलर से अधिक थी।
इसके विपरीत, गैर-भारतीय H-1B कर्मचारियों का 60 फीसदी से अधिक का वेतन 1 लाख डॉलर से ऊपर था। भारतीयों का वेतन पाकिस्तानी और नेपाली लाभार्थियों से थोड़ा अधिक था, लेकिन विश्वसनीय डेटा वाले 25 देशों में भारत इस सूची में नीचे पांचवें स्थान पर था। गैर-भारतीय H-1B कर्मचारियों की औसत सालाना कमाई 1,20,000 डॉलर थी, जो भारतीय कर्मचारियों की तुलना में काफी अधिक है।
H-1B वीजा तकनीक, इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे विशेष क्षेत्रों में विदेशी पेशेवरों को अमेरिका में काम करने की अनुमति देता है। इस वीजा धारकों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी भारतीयों की है, जिन्होंने वित्त वर्ष 2024 में कुल आवेदनों का 71 फीसदी हिस्सा लिया।
अमेरिकी फाइनेंस सेक्रेटरी हॉवर्ड लुटनिक ने बताया कि नई फीस केवल नए आवेदकों पर लागू होगी और पहले से H-1B वीजा धारकों को इससे छूट दी गई है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य अमेरिकी नागरिकों की नौकरी सुरक्षित रखना है। हालांकि, भारतीय पेशेवरों के लिए यह एक बड़ा आर्थिक झटका माना जा रहा है, क्योंकि अमेरिका में उनकी औसत आय अन्य देशों के कर्मचारियों की तुलना में कम है।