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वक्फ संशोधन कानून 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी

नई दिल्ली, 16 अप्रैल 2025:
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज की सुनवाई पूरी कर ली। अब इस मामले में अगली सुनवाई कल दोपहर 2 बजे होगी।

इस संशोधित कानून के खिलाफ अब तक कुल 10 याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं, जिनमें प्रमुख याचिकाकर्ताओं में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान, और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ में कौन-कौन शामिल?

सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश सीजेआई संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ द्वारा की जा रही है।

कोर्ट में क्या-क्या हुआ? जानिए मुख्य बिंदु

1. कपिल सिब्बल की दलील

कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि वक्फ अधिनियम में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना अनुच्छेद 26 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन है।

2. सीजेआई की टिप्पणी

सीजेआई ने कहा:

“आमतौर पर, जब कोई कानून पारित होता है तो हम हस्तक्षेप नहीं करते, लेकिन यहां कुछ अपवाद हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि सार्वजनिक ट्रस्ट जो दशकों से वक्फ के रूप में अस्तित्व में हैं, उन्हें अमान्य किया गया तो इससे बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है।

3. अंतरिम आदेश की संभावना

सीजेआई ने कहा कि अदालत एक अंतरिम आदेश देना चाहती है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि:

  • अदालत या अन्य माध्यम से घोषित की गई वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा।
  • निर्वाचक कार्यवाही जारी रह सकती है लेकिन संशोधित अधिनियम के प्रावधान तत्काल लागू नहीं होंगे।
  • वक्फ परिषद का गठन, पदेन सदस्यों की नियुक्ति धर्म के आधार पर प्रतिबंधित नहीं होगी, लेकिन सामान्य सदस्य मुस्लिम रहेंगे।

हरीश साल्वे और तुषार मेहता की दलीलें

हरीश साल्वे

उन्होंने कहा कि उन्होंने 1995 के मूल वक्फ अधिनियम को भी चुनौती दी है और इसके कई प्रावधान 2025 संशोधन में दोहराए गए हैं।

“सुप्रीम कोर्ट पूरे मामले का निर्णय कर सकता है, हाईकोर्ट की आवश्यकता नहीं।”

तुषार मेहता (केंद्र सरकार की ओर से)

  • उन्होंने कहा कि वक्फ परिषद हमेशा केंद्र की सलाहकार संस्था रही है।
  • नई परिषद में 22 सदस्यों में से अधिकतम दो गैर-मुस्लिम होंगे, और यह बात जेपीसी में स्पष्ट की गई थी।
  • मेहता ने यह भी कहा कि अब परिषद शिया और सुन्नी दोनों वर्गों से प्रतिनिधित्व करेगी।

सीजेआई का तीखा सवाल और टिप्पणी

सीजेआई ने SG मेहता से पूछा:

“क्या आप मानते हैं कि जैसे आप वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम शामिल कर रहे हैं, वैसे ही हिंदू ट्रस्ट में मुसलमानों को शामिल करेंगे?”

मेहता ने कहा कि यदि ऐसा हो तो न्यायाधीश भी पक्षपाती माने जाएंगे।
इस पर सीजेआई ने पलटवार करते हुए कहा:

“जब हम यहां बैठते हैं, हम अपना धर्म खो देते हैं। हम पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष हैं।”

कौन-कौन हैं याचिकाकर्ता?

अब तक जिन लोगों/संस्थाओं ने वक्फ अधिनियम को चुनौती दी है, उनमें शामिल हैं:

  1. असदुद्दीन ओवैसी
  2. अमानतुल्लाह खान
  3. एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स
  4. अरशद मदनी
  5. समस्त केरल जमीयतुल उलेमा
  6. अंजुम कादरी
  7. तैय्यब खान सलमानी
  8. मोहम्मद शफी
  9. मोहम्मद फजलुर्रहीम
  10. मनोज कुमार झा (आरजेडी)

नई याचिकाएं:

  • महुआ मोइत्रा (टीएमसी)
  • जिया-उर-रहमान बर्क (सपा)
    (इन याचिकाओं को सूचीबद्ध किया जाना अभी बाकी है)

छह भाजपा शासित राज्यों की प्रतिक्रिया

हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और असम ने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम 2025 का समर्थन करते हुए याचिकाएं दायर की हैं और इसकी संवैधानिकता का समर्थन किया है।

अगली सुनवाई कब?

इस मामले में अगली सुनवाई कल, 17 अप्रैल 2025 को दोपहर 2 बजे होगी, जिसमें केंद्र सरकार अपना पक्ष और जवाब दाखिल करेगी।

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