किसानों के लिए वरदान बना मिट्टी जांच उपकरण, जल्द पहुंचेगा 21 देशों तक
हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 12 मई : 2025,
कानपुर। आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित किया गया अत्याधुनिक ‘भू-परीक्षक’ अब न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रहा है। यह डिवाइस महज 90 सेकेंड में मिट्टी के 12 महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की जांच कर उसकी रिपोर्ट किसानों को मोबाइल पर भेज देता है। थाईलैंड, मॉरीशस, रवांडा, तंजानिया, कैमरून, जाम्बिया और केन्या जैसे छह से अधिक देशों में इसका प्रयोग शुरू हो चुका है और हजारों किसान इसका लाभ उठा रहे हैं।
90 सेकेंड में पूरी रिपोर्ट, सिर्फ 5 ग्राम मिट्टी से
आईआईटी कानपुर के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. जयंत कुमार सिंह द्वारा विकसित इस डिवाइस को उपयोग में लाने के लिए खेत की केवल 5 ग्राम मिट्टी की आवश्यकता होती है। भू-परीक्षक-2 नामक इस नई डिवाइस से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, ईसी (इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी), ऑर्गेनिक कार्बन, क्ले कंटेंट, जिंक, मैग्नीज़, कॉपर, सल्फर, बोरोन और आयरन की जांच मात्र डेढ़ मिनट में हो जाती है।
विदेशों में भी बढ़ा प्रभाव
भू-परीक्षक की तकनीक को मार्केट में लाने वाली कंपनी के फाउंडर रजतवर्धन ने जानकारी दी कि यह उपकरण फिलहाल 21 देशों की मिट्टी जांचने की योजना पर काम कर रहा है। अभी तक थाईलैंड, रवांडा, तंजानिया, कैमरून, जाम्बिया और केन्या में इसकी सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। भारत के भी कई राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब में किसान इसका लाभ ले रहे हैं।
कैसे काम करता है भू-परीक्षक
यह डिवाइस इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक पर आधारित है। उपकरण में लगे विशेष लेंस के सामने मिट्टी रखने पर यह इंफ्रारेड किरणों की सहायता से उसका फोटो स्कैन करता है। फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित सॉफ्टवेयर उस डेटा का विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार करता है। रिपोर्ट सीधे किसान के मोबाइल एप्लिकेशन पर उपलब्ध हो जाती है।
भविष्य की दिशा
इस तकनीक को कॉमर्शियल उपयोग के लिए एक निजी कंपनी को लाइसेंस किया गया है, जिसने इसका निर्माण बड़े स्तर पर शुरू कर दिया है। इसका लक्ष्य अगले 12 महीनों में 21 देशों तक इस तकनीक को पहुंचाना है ताकि विश्वभर के किसान कम समय में सटीक मिट्टी जांच कर खेती में बेहतर निर्णय ले सकें।