हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:25 जुलाई 2025
बिहार सरकार की वित्तीय कार्यप्रणाली पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार 70,877.61 करोड़ रुपये की राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) देने में विफल रही है। यह धन विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं के लिए जारी किया गया था, लेकिन तय समय सीमा तक खर्च का प्रमाण नहीं दिया गया।
49,649 यूसी अब तक बकाया
31 मार्च 2024 तक कैग को कुल 49,649 उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं मिले थे। यह स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है, क्योंकि किसी भी योजना के तहत आवंटित धनराशि के उपयोग के बाद यूसी जमा करना अनिवार्य होता है।
धन के दुरुपयोग की आशंका
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यूसी के अभाव में यह तय कर पाना मुश्किल है कि आवंटित धन वास्तव में निर्धारित उद्देश्य पर खर्च हुआ या नहीं। इससे गबन, वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ जाती है।
सबसे लापरवाह विभाग
रिपोर्ट के अनुसार पंचायती राज विभाग सबसे लापरवाह निकला, जिस पर 28,154.10 करोड़ रुपये का यूसी बकाया है। इसके बाद शिक्षा विभाग (12,623.67 करोड़), शहरी विकास विभाग (11,065.50 करोड़), ग्रामीण विकास विभाग (7,800.48 करोड़) और कृषि विभाग (2,107.63 करोड़) का स्थान है।
पुराने मामलों की भरमार
कैग ने यह भी खुलासा किया कि 14,452.38 करोड़ रुपये की राशि 2016-17 या उससे पहले की है, जो अब तक लंबित है। यह राज्य सरकार की वित्तीय अनुशासनहीनता को दर्शाता है।
बजट का पूरा उपयोग नहीं
वित्त वर्ष 2023-24 में बिहार सरकार ने कुल बजट 3.26 लाख करोड़ रुपये में से सिर्फ 2.60 लाख करोड़ रुपये यानी 79.92% ही खर्च किए। कुल 65,512.05 करोड़ रुपये की बजटीय बचत में से भी केवल 36.44% (23,875.55 करोड़) ही वापस किए गए।
राज्य की देनदारियां बढ़ीं
कैग रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पिछले वर्ष की तुलना में राज्य की कुल देनदारियों में 12.34% की बढ़ोतरी हुई है, जिससे वित्तीय प्रबंधन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह रिपोर्ट बिहार सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गहरी चिंता जताती है।