• Home
  • Delhi
  • सरकारी कार्यशैली में मानव कल्याण का समावेश : एक आवश्यकता
Image

सरकारी कार्यशैली में मानव कल्याण का समावेश : एक आवश्यकता

बुटा सिंह
सहायक आचार्य,
ग्रामीण विकास विभाग,
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली

सरकार का असली धर्म जनता की सेवा है—ऐसी सेवा जिसमें नियम-कायदों की कठोरता से अधिक मानवीय संवेदना और करुणा की छाया हो। शासन का मक़सद केवल दफ्तरों की फाइलों को आगे बढ़ाना नहीं, बल्कि हर नागरिक के जीवन में भरोसा, सहारा और सहजता का संचार करना है। परन्तु दुर्भाग्य से आज भी कई नागरिक सरकारी दफ्तरों में लालफीताशाही, भ्रष्टाचार और संवेदनहीनता के अनुभव से गुजरते हैं। परिणामस्वरूप जनता और सरकारी तंत्र के बीच विश्वास की डोर ढीली पड़ जाती है।
इसलिए यह समय की माँग है कि सरकारी कार्यशैली में मानवीय दृष्टिकोण का समावेश हो और अधिकारी स्वयं को केवल नौकरशाह नहीं, बल्कि सच्चे “जनसेवक” के रूप में देखें।


वर्तमान चुनौतियों की जड़ें

सरकारी कार्यप्रणाली में मानवीय संवेदना के अभाव के पीछे कई ऐतिहासिक और संरचनात्मक कारण हैं—

  • औपनिवेशिक विरासत : हमारी नौकरशाही का ढाँचा अंग्रेज़ी शासन से विरासत में मिला, जिसका मूल उद्देश्य सत्ता कायम रखना था, न कि जनकल्याण करना।
  • प्रक्रिया-केंद्रित मानसिकता : नियमों और प्रक्रियाओं का कठोर पालन, नागरिक की सुविधा से अधिक प्राथमिकता पा लेता है। परिणामस्वरूप, “मानव” पीछे छूट जाता है और “नियम” आगे खड़े रहते हैं।
  • जवाबदेही का अभाव : कई स्तरों पर जवाबदेही कमजोर है, जिससे लापरवाही और ढिलाई सामान्य हो जाती है।
  • मानव संसाधन की कमियाँ : अधिकारियों को तकनीकी दक्षता का प्रशिक्षण तो मिलता है, लेकिन संवेदनशीलता, सहानुभूति और भावनात्मक बुद्धिमत्ता जैसे गुण उपेक्षित रहते हैं।

मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के उजले परिणाम

यदि सरकारी तंत्र अपनी कार्यशैली में नागरिकों की भावनाओं और कल्याण को केंद्र में रखे, तो इसके व्यापक और सकारात्मक प्रभाव होंगे—

  • जनता का विश्वास बढ़ेगा : जब नागरिक देखेंगे कि उनकी समस्याओं को सहानुभूति और गंभीरता से सुना जा रहा है, तो उनका भरोसा शासन में गहराएगा।
  • सेवाओं की गुणवत्ता सुधरेगी : मानवीय दृष्टिकोण से लिए गए निर्णय अधिक व्यावहारिक होंगे और योजनाएँ ज़मीन पर बेहतर ढंग से उतरेंगी।
  • भ्रष्टाचार में कमी : पारदर्शिता और जवाबदेही से अनियमितताओं पर अंकुश लगेगा।
  • सकारात्मक कार्यसंस्कृति : जब अधिकारी यह महसूस करेंगे कि वे केवल आदेश पालन नहीं, बल्कि समाज निर्माण की ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं, तो उनमें आत्मसंतोष और प्रेरणा दोनों बढ़ेंगे।

परिवर्तन की राह

सुशासन की ओर कदम बढ़ाने के लिए कुछ ठोस पहल आवश्यक हैं—

  • प्रशिक्षण और संवेदीकरण : प्रशासनिक अधिकारियों को केवल तकनीकी नहीं, बल्कि मानवीय गुणों का भी प्रशिक्षण दिया जाए। सहानुभूति और करुणा को उनकी कार्यशैली का हिस्सा बनाया जाए।
  • प्रोत्साहन और पहचान : उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित किया जाए, ताकि दूसरों के लिए भी यह प्रेरणा बने।
  • सरलीकरण और पारदर्शिता : प्रक्रियाएँ जितनी सरल होंगी, जनता का बोझ उतना ही कम होगा।
  • डिजिटल नवाचार : तकनीक को जनसेवा का सशक्त औजार बनाया जाए, ताकि नागरिकों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें।
  • प्रभावी शिकायत निवारण : शिकायतों पर त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
  • आदर्श नेतृत्व : वरिष्ठ अधिकारी अपने आचरण से उदाहरण प्रस्तुत करें, ताकि पूरी संस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।

वस्तुतः सरकारी तंत्र में बदलाव केवल ढाँचागत सुधारों से संभव नहीं; इसके लिए मानसिकता और दृष्टिकोण का रूपांतरण अनिवार्य है। जब हर सरकारी कर्मचारी अपनी भूमिका को केवल नौकरी नहीं, बल्कि सेवा समझेगा—तभी सुशासन का सपना साकार होगा। शासन का वास्तविक सौंदर्य तभी प्रकट होगा, जब उसकी नींव में मानव कल्याण की संवेदना गहरी जड़ें जमाएगी।

Releated Posts

EWS मेडिकल सीट :करोड़ों देकर ले रहे हैं महंगी PG सीटें, प्रमाणपत्र पर उठे सवाल

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: NEET PG 2025 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) कोटे का दुरुपयोग सामने आने…

ByByHindustan Mirror NewsNov 25, 2025

चीन में अरुणाचल की महिला के साथ दुर्व्यवहार पर भारत का कड़ा विरोध

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: लंदन से जापान की यात्रा के दौरान शंघाई पुडोंग एयरपोर्ट पर अरुणाचल प्रदेश की निवासी…

ByByHindustan Mirror NewsNov 25, 2025

दतिया में BJP-RSS से जुड़े लोग बने BLO के सहयोगी, कांग्रेस ने उठाए सवाल; कलेक्टर ने माना त्रुटि

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: मध्य प्रदेश के दतिया जिले में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) के दौरान BJP-RSS…

ByByHindustan Mirror NewsNov 25, 2025

SC में ओरल मेंशनिंग पर फिर रोक, नए CJI सूर्यकांत ने लागू किया नया नियम

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने पद संभालते ही सुप्रीम कोर्ट में…

ByByHindustan Mirror NewsNov 25, 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top