हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 4 मई : 2025,
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान जाने के बाद भारत ने एक कड़ा और रणनीतिक कदम उठाया है। भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करते हुए पाकिस्तान की ओर बहने वाले जल प्रवाह पर नियंत्रण की दिशा में कदम बढ़ाया है।
बगलिहार डैम से पानी का प्रवाह रोका गया
सूत्रों के अनुसार, भारत ने चिनाब नदी पर बने बगलिहार डैम (जम्मू के रामबन जिले में स्थित) से पाकिस्तान की ओर पानी छोड़ना रोक दिया है। यह डैम भारत को जल प्रवाह के समय और मात्रा को नियंत्रित करने की पूर्ण क्षमता प्रदान करता है।
किशनगंगा डैम पर भी कार्रवाई की योजना
भारत की योजना में अगला कदम किशनगंगा डैम है, जो उत्तर कश्मीर में झेलम की सहायक नीलम नदी पर स्थित है। पाकिस्तान इस परियोजना का लंबे समय से विरोध करता रहा है और इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है, विशेष रूप से नीलम नदी पर इसके प्रभाव को लेकर।
1960 की सिंधु जल संधि का निलंबन
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी, जिसका उद्देश्य सिंधु नदी प्रणाली के जल का शांतिपूर्ण बंटवारा सुनिश्चित करना था। इस संधि के तहत तीन पूर्वी नदियाँ (रावी, व्यास, सतलुज) भारत को और तीन पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब) पाकिस्तान को दी गई थीं।
हालांकि, भारत को इन पश्चिमी नदियों पर “सीमित उपयोग” की अनुमति प्राप्त थी, जिसमें जल विद्युत परियोजनाओं और सिंचाई जैसी गतिविधियाँ शामिल थीं। बगलिहार और किशनगंगा दोनों ही परियोजनाएं इसी दायरे में आती हैं, परंतु पाकिस्तान ने इनका हमेशा विरोध किया है।
भारत की रणनीति: ‘जल’ को बनाया कूटनीतिक हथियार
भारत के इस कदम को आतंकवाद के खिलाफ दबाव की नीति के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें अब कूटनीतिक और सैन्य विकल्पों के साथ-साथ जल संसाधनों को भी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस नीति का उद्देश्य पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का दबाव बनाना है, विशेषकर तब जब आतंकवादी हमलों में नागरिकों की जानें जा रही हैं और पाकिस्तान पर इन हमलों के समर्थन या संरक्षण का आरोप लगता रहा है।