हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
भारत के लिए तजाकिस्तान में स्थित आईनी एयरबेस (Farkhor Airbase) एक अहम रणनीतिक ठिकाना था, जो मध्य एशिया में भारत की सैन्य मौजूदगी का प्रतीक माना जाता था। लेकिन अब यह एयरबेस भारत के हाथ से निकल गया है। तजाकिस्तान सरकार ने भारत के साथ एयरबेस संचालन संबंधी समझौता बढ़ाने से इंकार कर दिया है, जिसके बाद भारत को इसे खाली करना पड़ा।
यह एयरबेस अफगानिस्तान के वखान कॉरिडोर से मात्र 20 किलोमीटर दूर था, जिससे भारत पाकिस्तान और अफगानिस्तान की गतिविधियों पर सीधी निगरानी रख सकता था। भारत ने इसके विकास पर करीब 100 मिलियन डॉलर (लगभग 830 करोड़ रुपये) खर्च किए थे। यहां समय-समय पर एसयू-30 एमकेआई फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर भी तैनात किए गए थे।
कूटनीतिक स्तर पर भारत के लिए यह झटका इसलिए भी बड़ा है क्योंकि यह विदेश में भारत का इकलौता सैन्य अड्डा था। अब भारत के पास मध्य एशिया में कोई स्थायी ठिकाना नहीं बचा, जिससे उसकी रणनीतिक गहराई पर असर पड़ सकता है।
हालांकि चर्चा यह भी है कि इस फैसले में रूस की सीधी भूमिका नहीं रही। रूस सेंट्रल एशिया में भारत की उपस्थिति को हमेशा समर्थन देता आया है ताकि चीन के प्रभाव को संतुलित किया जा सके। असल दबाव चीन की ओर से आने की संभावना अधिक बताई जा रही है, क्योंकि चीन तजाकिस्तान में भारी निवेश कर चुका है और CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) के समीप किसी भारतीय ठिकाने को अपने हितों के लिए खतरा मानता है।
कुल मिलाकर, तजाकिस्तान में आईनी एयरबेस का खत्म होना भारत की विदेश नीति और रक्षा रणनीति के लिए एक बड़ा झटका है। यह न केवल भारत की क्षेत्रीय सैन्य उपस्थिति को कमजोर करता है, बल्कि चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ को और मजबूत करने की संभावना भी बढ़ा देता है।













