हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अस्थिरता के बीच खुफिया रिपोर्टों ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं। करीब 15 वर्षों के अंतराल के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की सक्रिय मौजूदगी ढाका में फिर से सामने आई है। यह घटनाक्रम अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बदले कूटनीतिक हालातों से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसे विशेषज्ञ एक संगठित रणनीतिक वापसी मान रहे हैं।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तान ने ढाका स्थित अपने हाई कमीशन के भीतर एक विशेष ISI सेल स्थापित किया है। अक्टूबर 2025 के अंत में सामने आई जानकारी के अनुसार, इस सेल में एक ब्रिगेडियर, दो कर्नल, चार मेजर सहित थलसेना, नौसेना और वायुसेना के अधिकारी तैनात हैं। सूत्रों का कहना है कि यह सेल अक्टूबर 2025 में पाकिस्तान के जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन जनरल साहिर शमशाद मिर्जा की चार दिवसीय ढाका यात्रा के बाद औपचारिक रूप से सक्रिय हुआ। इस दौरान ISI अधिकारियों की बांग्लादेश की नेशनल सिक्योरिटी इंटेलिजेंस (NSI) और डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फोर्सेज इंटेलिजेंस (DGFI) के साथ कई बैठकें हुईं।
खुफिया विश्लेषकों के अनुसार, आधिकारिक तौर पर इन बैठकों का उद्देश्य बंगाल की खाड़ी में समुद्री निगरानी बताया जा रहा है, लेकिन असली मकसद भारत की पूर्वी सीमाओं पर नजर रखना और बांग्लादेशी युवाओं को भारत विरोधी कट्टरपंथ की ओर आकर्षित करना है। ISI पर आरोप है कि वह जमात-ए-इस्लामी और इंकलाब मंच जैसे संगठनों के माध्यम से धार्मिक उग्रवाद को बढ़ावा देकर भारत के खिलाफ एक “हाइब्रिड नेटवर्क” खड़ा करना चाहती है।
अगस्त 2024 के बाद ढाका और इस्लामाबाद के बीच बढ़ते रिश्तों को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। जुलाई 2025 में पासपोर्ट धारकों और सैन्य कर्मियों के लिए वीजा-फ्री एंट्री, उच्चस्तरीय सैन्य आदान-प्रदान, कराची–चित्तागांव शिपिंग रूट और प्रस्तावित सीधी उड़ानों को खुफिया गतिविधियों के कवर के रूप में देखा जा रहा है।
18 दिसंबर को छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद ढाका में फैली हिंसा को कई विशेषज्ञ “मैनेज्ड क्राइसिस” बता रहे हैं। भारतीय उच्चायोग और चट्टोग्राम स्थित सहायक उच्चायोग पर हमले, मीडिया दफ्तरों में आगजनी और सड़कों पर भय का माहौल—इन सबको फरवरी 2026 के चुनावों को प्रभावित करने और कट्टरपंथी तत्वों की पकड़ मजबूत करने की रणनीति से जोड़ा जा रहा है।
भारत ने इस मुद्दे पर चुप्पी नहीं साधी है। 19 नवंबर 2025 को कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने ढाका में ISI की सक्रियता का मुद्दा सीधे बांग्लादेशी समकक्ष के सामने उठाया। भारत का रुख साफ है—वह बांग्लादेश की जनता के साथ खड़ा है, लेकिन ढाका में बढ़ता पाकिस्तानी प्रभाव क्षेत्रीय स्थिरता और ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के लिए गंभीर चुनौती माना जा रहा है।













