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जयपुर बम धमाका: 17 साल बाद मिला इंसाफ,

चार दोषियों को उम्रकैद की सजाविशेष अदालत ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कानूनी जीत


हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 9 अप्रैल: 2025:

13 मई 2008 को जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों ने पूरे देश को दहला दिया था। जौहरी बाजार, सांगानेरी गेट और चांदपोल जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में हुए इन धमाकों में 70 से अधिक लोगों की जान गई थी और 170 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद पूरे देश में शोक और आक्रोश की लहर दौड़ गई थी।

दोषियों की पहचान और गिरफ्तारी:
घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने तेजी से जांच शुरू की और जल्द ही संदिग्धों की पहचान की गई। इस मामले में जिन चार आरोपियों को दोषी ठहराया गया है, वे उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से से ताल्लुक रखते हैं:

  1. मोहम्मद सरवर आजमी – चांदपट्टी, थाना रौनापार, आजमगढ़
  2. सैफुर्रहमान – बदरका, नगर कोतवाली, आजमगढ़
  3. मोहम्मद सैफ – संजरपुर, थाना सरायमीर, आजमगढ़
  4. शाहबाज आलम – भदोही

कानूनी प्रक्रिया और फैसला:
इस मामले की सुनवाई विशेष अदालत में चल रही थी, जिसकी अध्यक्षता न्यायाधीश रमेश कुमार जोशी कर रहे थे। 4 अप्रैल 2025 को 17 साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद अदालत ने चारों आरोपियों को दोषी ठहराया।

इन धाराओं के तहत हुई सजा:

  • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 121-ए (राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ना), 124-ए (राजद्रोह), 153-ए (धर्म के आधार पर वैमनस्य फैलाना), 307 (हत्या का प्रयास)
  • गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 18
  • विस्फोटक अधिनियम, 1908 की धारा 4 और 5

अदालत का ऐतिहासिक फैसला:
विशेष न्यायाधीश ने चारों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत के इस फैसले को न्याय व्यवस्था की बड़ी सफलता और आतंकवाद के खिलाफ एक सशक्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

समाज और न्यायपालिका की प्रतिक्रिया:
इस फैसले से पीड़ित परिवारों को कुछ हद तक राहत मिली है और आम जनता में भी न्याय के प्रति विश्वास और गहरा हुआ है। यह फैसला इस बात की मिसाल है कि भले ही न्याय पाने में समय लगे, लेकिन सच की जीत होती है।

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