हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 6 मई : 2025,
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) में जन औषधि केंद्र खोलना अनिवार्य कर दिया है। इस पहल का उद्देश्य मरीजों को सस्ती दर पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं और चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराना है।
हर जिले में खोले जाएंगे जन औषधि केंद्र
अब तक प्रदेश में निजी क्षेत्र में करीब 2700 जन औषधि केंद्र संचालित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त कुछ मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में भी ये केंद्र कार्यरत हैं। लेकिन अब सरकार ने निर्णय लिया है कि हर सीएचसी में अनिवार्य रूप से जन औषधि केंद्र खोले जाएंगे, साथ ही जिन जिला एवं विशिष्ट अस्पतालों में ये अभी नहीं हैं, वहां भी इन्हें स्थापित किया जाएगा।
प्रदेश में फिलहाल:
- 108 जिला व संयुक्त अस्पताल
- 259 विशिष्ट अस्पताल
- 972 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी)
- 3735 प्राथमिक एवं ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र हैं।
पहले चरण में 1110 केंद्र होंगे चालू
राज्य की स्टेट एजेंसी फॉर कंप्रेहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विस (SACHIS) ने पहले चरण में 1110 जन औषधि केंद्र खोलने की योजना बनाई है। इन सभी केंद्रों को मई के अंत तक चालू कर दिया जाएगा। इस दिशा में टेंडर प्रक्रिया में भी बदलाव किया गया है। पहले जहां वेंडरों का चयन मंडल स्तर पर होता था, अब यह प्रक्रिया जिला स्तर पर की जा रही है।
वेंडरों को लाइसेंस लेना अनिवार्य, दवा न देने पर लगेगा जुर्माना
वेंडरों को निर्देश दिया गया है कि वे भारतीय औषधि एवं चिकित्सा उपकरण ब्यूरो (PMBI) पोर्टल पर आवेदन करें और संबंधित अस्पताल के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग से लाइसेंस प्राप्त करें।
यदि केंद्र आवंटन के 15 दिन के भीतर दवाएं उपलब्ध नहीं कराई जाती हैं, तो संबंधित वेंडर पर जुर्माना लगाया जाएगा। इस व्यवस्था से दवाओं की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
सरकार की प्राथमिकता में जेनेरिक दवा उपलब्धता
राज्य सरकार की यह योजना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और किफायती बनाएगी, बल्कि जन औषधि योजना को ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों तक पहुंचाने में भी मददगार साबित होगी। शासन ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को निर्देश दिए हैं कि जन औषधि केंद्रों के लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को प्राथमिकता पर पूरा करें।