हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 14 मई : 2025,
नई दिल्ली, 14 मई 2025: भारत के प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने आज एक अहम निर्णय लेते हुए तुर्किये के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ किए गए शैक्षणिक समझौते (MoU) को राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से अगली सूचना तक निलंबित कर दिया है। यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सीमा संघर्ष के दौरान तुर्किये ने पाकिस्तान को रक्षा उपकरण मुहैया कराए थे।
जेएनयू ने मंगलवार शाम को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा:

“Due to National Security considerations, the MoU between JNU and Inonu University, Türkiye stands suspended until further notice. JNU stands with the Nation.”
(JNU_official_50, 14 May 2025)
क्या था यह समझौता?
जेएनयू और तुर्किये के मालट्या स्थित इनोनू विश्वविद्यालय के बीच यह तीन साल की अवधि के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) 3 फरवरी 2025 को हस्ताक्षरित किया गया था। इस MoU का उद्देश्य दो विश्वविद्यालयों के बीच क्रॉस-कल्चरल रिसर्च, छात्रों के आपसी आदान-प्रदान, और शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देना था।
जेएनयू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,
“इस समझौते के तहत संकाय एवं छात्र विनिमय कार्यक्रम के साथ-साथ कई अन्य अकादमिक योजनाएं शामिल थीं। लेकिन वर्तमान हालात में राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है।”
भारत-पाक तनाव और तुर्किये की भूमिका
हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की थी। इस ऑपरेशन के बाद तुर्किये ने पाकिस्तान का साथ देते हुए उसे ड्रोन और अन्य रक्षा उपकरण मुहैया कराए। इसके साथ ही तुर्किये ने भारत की सैन्य कार्रवाई की आलोचना भी की।
10 मई को भारत और पाकिस्तान ने चार दिनों के सीमा-पार संघर्ष के बाद संघर्षविराम का समझौता किया, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने भारत-तुर्किये संबंधों में खटास ला दी है।
तुर्किये के बहिष्कार की मांग तेज
तुर्किये की इस भूमिका को लेकर पूरे देश में बहिष्कार की लहर दौड़ पड़ी है। लोग तुर्की उत्पादों, पर्यटन और ऑनलाइन ट्रैवल पोर्टल्स जैसे EaseMyTrip और Ixigo पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। कुछ ट्रैवल कंपनियों ने तो तुर्किये की यात्रा से बचने की सलाह भी जारी की है।
जेएनयू का राष्ट्रीयता का संदेश
जेएनयू का यह फैसला इस बात का संकेत है कि देश के शैक्षणिक संस्थान भी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। यूनिवर्सिटी के बयान में स्पष्ट कहा गया है कि वे “राष्ट्र के साथ खड़े हैं”।