हिन्दुस्तान मिरर न्यूज
उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ एक बार फिर अफसरशाही के रवैये को लेकर मुखर हुए हैं। अपने दूसरे पत्र में उन्होंने प्रदेश की कुछ बड़ी योजनाओं और नीतिगत निर्णयों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इस पत्र में उन्होंने विशेष रूप से छात्रों के लिए स्मार्टफोन वितरण योजना, लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण (लीडा) के मास्टरप्लान में बदलाव, और विदेशी निवेश से जुड़ी सब्सिडी मामलों को लेकर अफसरों की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा किया है।
मंत्री नंदी ने बताया कि सरकार ने छात्रों को 25 लाख स्मार्टफोन देने का निर्णय लिया था, लेकिन पांच महीने बाद अचानक टैबलेट खरीद का प्रस्ताव लाकर दिशा ही बदल दी गई। यह बदलाव वित्तीय वर्ष के अंत में लाया गया, जिससे 3100 करोड़ रुपये का बजट लैप्स हो गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह योजना में देर और अफसरों की लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है।
इसके अलावा लीडा के मास्टरप्लान में किए गए बदलावों पर भी उन्होंने सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि एक कंपनी — फूजी सिल्वरटेक — को विदेशी निवेश (FDI) के तहत अनुचित लाभ दिया गया। इस कंपनी को बैकडेट में 75% सब्सिडी देकर लगभग 79,000 वर्गमीटर भूमि दी गई, जबकि कंपनी ने 100 करोड़ के वादे की बजाय केवल 15 करोड़ रुपये का निवेश किया। इससे पहले कैनपेक इंडिया जैसे मामलों में ऐसी छूट नहीं दी गई थी, जिससे दोहरे मापदंड का संकेत मिलता है।
मंत्री ने यह भी कहा कि कई अफसर और कर्मचारी वर्षों से एक ही पद पर जमे हुए हैं, लेकिन उनके तबादले नहीं किए गए। उन्होंने मांग की कि ऐसे अधिकारियों और कर्मियों को तत्काल हटाया जाए, जिससे शासन-प्रशासन में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
यह दूसरा पत्र न केवल प्रशासनिक कार्यशैली पर प्रहार है, बल्कि सरकार के अंदर चल रही खींचतान और जवाबदेही के सवाल भी खड़े करता है।