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भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर राजनीति गरमाई: मनीष सिसोदिया ने पीएम मोदी से पूछे तीखे सवाल

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 13 मई : 2025,

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए अचानक सीजफायर के फैसले ने सियासी गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है। आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर कई तीखे सवाल पूछते हुए जवाब मांगा है। उन्होंने इस सीजफायर को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं और इसे पीड़ितों के साथ अन्याय बताया है।

मनीष सिसोदिया ने क्या पूछा?

मनीष सिसोदिया ने कहा कि पूरा देश पाकिस्तान की आतंकी हरकतों के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा था, तो अचानक सीजफायर क्यों किया गया? उन्होंने सवाल उठाया कि जब पाकिस्तान एक आतंकवादी देश माना जाता है, और देशभर के नागरिक आतंकवाद के खिलाफ सरकार के साथ थे, तो फिर यह निर्णय किस दबाव में लिया गया?

उन्होंने कहा:

“पाकिस्तान के आतंकवादियों ने जब पहलगाम में हमला किया, हमारी बहनों ने हाथ जोड़कर विनती की, लेकिन आतंकवादी नहीं माने। फिर जब हमारी सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत जवाबी कार्रवाई की और पाकिस्तान घुटनों पर आ गया, तो पीएम मोदी क्यों मान गए?”

1971 जैसे समझौते की मांग

सिसोदिया ने आगे कहा कि अगर पाकिस्तान सच में शांति चाहता था और गिड़गिड़ा रहा था, तो उसके प्रधानमंत्री को बुलाकर 1971 जैसा लिखित समझौता क्यों नहीं कराया गया? उन्होंने यह भी पूछा कि इस सीजफायर के बाद पहलगाम के पीड़ितों को न्याय कैसे मिलेगा?

भारतीय सेना की सराहना

अपने बयान में मनीष सिसोदिया ने भारतीय सेनाओं की खुले दिल से प्रशंसा की। उन्होंने कहा:

“भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए आतंकवादियों को करारा जवाब दिया। उनके ठिकाने तबाह किए, हथियार नष्ट किए। पूरा देश सेना और सरकार के साथ था।”

लेकिन उन्होंने ये भी जोड़ा कि ऐसे समय में जब सेना का मनोबल चरम पर था और देश एकजुट था, तभी सरकार द्वारा अचानक सीजफायर कर देना कई सवाल खड़े करता है।

प्रियंका कक्कड़ का भी सवाल

AAP की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा:

“मानवता और आतंकवाद के बीच की इस लड़ाई में 140 करोड़ भारतीय पीएम मोदी के साथ खड़े थे। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि एक विदेशी ताकत ने हमारे आंतरिक मामले में दखल देकर पूर्ण विराम लगा दिया। अगर सीजफायर की घोषणा पीएम खुद करते, तो समझ आता।”

उन्होंने यह भी मांग की कि पीएम मोदी को देश को संबोधित कर साफ-साफ बताना चाहिए कि ये सीजफायर किसके दबाव में और किन शर्तों पर किया गया।

राजनीतिक हलचल और जनता की नजरें

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर सियासी बयानबाज़ी तेज़ होती जा रही है। विपक्ष सवाल उठा रहा है कि क्या सरकार ने देश की जनता और पीड़ित परिवारों की भावनाओं को ध्यान में रखा है?

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