हिन्दुस्तान मिरर | 7 जुलाई 2025
अलीगढ़,
जिला कृषि अधिकारी धीरेन्द्र सिंह चौधरी ने किसान भाइयों को उर्वरकों के संतुलित प्रयोग के प्रति जागरूक करते हुए स्पष्ट किया कि असंतुलित उर्वरक प्रयोग से मृदा एवं पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचती है। इसके साथ ही खेती की लागत भी बढ़ती है, जबकि उत्पादन में अपेक्षित लाभ नहीं मिलता। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे उर्वरकों का उपयोग वैज्ञानिक पद्धति एवं संस्तुत मात्रा के अनुसार ही करें।
डीएओ चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री प्रणाम योजना के अंतर्गत यूरिया व डीएपी जैसे पारंपरिक उर्वरकों के स्थान पर पोषक तत्वों की पूर्ति अन्य विकल्पों जैसे नैनो यूरिया व नैनो डीएपी से की जा रही है। इससे न केवल मृदा की उर्वरता बनी रहती है बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी सुरक्षित रहता है। उन्होंने कृषकों को अपनी जोत बही के अनुसार ही उर्वरकों की खरीद करने, अनावश्यक भंडारण से बचने और केवल प्रमाणित उर्वरकों का ही उपयोग करने की सलाह दी।
डीएओ ने सभी उर्वरक विक्रेताओं को निर्देशित किया कि वे किसानों को आधार कार्ड व आधार पंजीकरण संख्या के आधार पर ही उर्वरक दें और कैश मेमो देना अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करें। इसके अलावा विक्रय स्थल पर उर्वरकों का स्टॉक व मूल्य बोर्ड प्रतिदिन अपडेट किया जाए। नाइट्रोजन उर्वरकों की टॉप ड्रेसिंग के लिए पारंपरिक यूरिया के स्थान पर नैनो यूरिया का उपयोग करने की सिफारिश की गई है। इसे फसल की 35 व 50 दिन की अवस्था में उपयोग करने पर बेहतर परिणाम मिलते हैं।
इफको प्रतिनिधि ने जानकारी दी कि नैनो यूरिया की एक बोतल, एक बोरी यूरिया के बराबर कार्य करती है और यह पत्तियों पर छिड़काव के रूप में उपयोग होता है। यह पौधों में आसानी से प्रवेश कर अवशोषित हो जाता है। नैनो डीएपी का उपयोग बीज व जड़ शोधन के साथ-साथ वानस्पतिक अवस्था में टॉप ड्रेसिंग के लिए भी किया जाना चाहिए।
डीएओ ने किसानों को यह भी सलाह दी कि उर्वरक का प्रयोग सही समय, स्थान, मात्रा व विधि से करें। सुबह व शाम का समय उपयुक्त होता है और वर्षा या तेज हवा के समय उर्वरक प्रयोग से बचना चाहिए।
अंत में, डीएओ चौधरी ने अपील की कि कोई भी विक्रेता यदि अनुचित दरों पर उर्वरक बेचता हो या गैर-प्रचलित उत्पाद टैग करता हो, तो उसकी शिकायत जिला कृषि अधिकारी कार्यालय, अलीगढ़ के कंट्रोल रूम नंबर 8954918916 और 9504997660 पर की जा सकती है।
इस पहल का उद्देश्य है – स्वस्थ मृदा, सुरक्षित फसल और समृद्ध किसान।