हिन्दुस्तान मिरर न्यूज :29 जुलाई 2025
MSME Loan Update 2025: डिजिटल मॉडल से प्रक्रिया बनी तेज और पारदर्शी
नई दिल्ली, जुलाई 2025
देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। 1 अप्रैल से 15 जुलाई 2025 के बीच देशभर में 98,995 एमएसएमई लोन आवेदनों को सरकारी बैंकों द्वारा मंजूरी प्रदान की गई है। यह जानकारी केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से दी। उन्होंने बताया कि यह मंजूरी केंद्र सरकार द्वारा लागू नए डिजिटल क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल (Digital Credit Assessment Model) के तहत दी गई है।

डिजिटल मॉडल से बदली लोन प्रक्रिया की तस्वीर
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, इस नए डिजिटल मॉडल ने ऋण प्रक्रिया को न केवल सरल, बल्कि तेज और पारदर्शी बना दिया है। अब बैंक एक दिन के भीतर लोन निर्णय ले सकते हैं, जिससे परंपरागत लोन प्रक्रिया की तुलना में टर्नअराउंड टाइम (TAT) में भारी कमी आई है।
एमएसएमई इकाइयों को मिल रहे ये मुख्य लाभ:
- ऑनलाइन आवेदन सुविधा – देश के किसी भी कोने से लोन हेतु डिजिटल माध्यम से आवेदन किया जा सकता है।
- कागजी झंझट में कमी – अब शाखा में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं।
- त्वरित स्वीकृति – डिजिटल प्लेटफॉर्म से तुरंत सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त हो रही है।
- स्वचालित प्रोसेसिंग – लोन प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के पूर्ण हो रही है।
- कम TAT – समय की बचत हो रही है, जिससे उद्यमियों को तुरंत पूंजी मिल रही है।
- डेटा-आधारित मूल्यांकन – आवेदक के ट्रांजैक्शन और क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर सटीक निर्णय लिया जा रहा है।
पारदर्शिता और सटीकता को मिली मजबूती
नया मॉडल पूरी तरह डिजिटल मूल्यांकन पर आधारित है, जिससे फर्जी दस्तावेज या ग़लत निर्णय की संभावना बेहद कम हो गई है। ऋण पात्रता का मूल्यांकन सिस्टम जनरेटेड लॉजिक और स्कोरकार्ड के माध्यम से किया जाता है, जिससे निर्णय निष्पक्ष, पारदर्शी और वास्तविक जरूरतों पर केंद्रित हो गया है।
केंद्रीय बजट 2024-25 में हुई थी पहल
गौरतलब है कि इस डिजिटल क्रेडिट मॉडल की घोषणा केंद्रीय बजट 2024-25 में की गई थी। इसमें यह लक्ष्य रखा गया था कि अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बाहरी एजेंसियों पर निर्भर रहने के बजाय, अपनी तकनीकी दक्षता के जरिए एमएसएमई ऋणों का मूल्यांकन करेंगे। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि इससे ऋण पात्रता के मौजूदा मानकों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।