हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
अलीगढ़, 6 सितम्बरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के के.ए. निजामी सेंटर फॉर कुरआनिक स्टडीज ने अपने दो शोधार्थियों की अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों का जश्न मनाया है, जिससे वैश्विक स्तर पर इस सेंटर की बढ़ती प्रतिष्ठा स्पष्ट होती है।
सेंटर के शोधार्थी सैयद मोहम्मद मोबश्शिर को इस्लामिक कॉस्मोलॉजी पर उच्च स्तरीय पाठ्यक्रम के लिए प्रतिष्ठित छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है। यह पाठ्यक्रम विश्व प्रसिद्ध इस्लामी दार्शनिक प्रो. सैयद हुसैन नसर के मार्गदर्शन में तुर्की के टोकेत इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड इस्लामिक स्टडीज में आयोजित होगा, जो इस्लामी परंपराओं पर गहन बौद्धिक शोध को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध है।
श्री मोबश्शिर का शोध प्रबंध “कुरआनिक एनवायरनमेंटल एथिक्सः ए फ्रेमवर्क फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट इन द 21 सेंचुरी” इस्लामी नैतिक मूल्यों को समकालीन पर्यावरणीय चिंताओं से जोड़ता है और स्थायी विकास व पर्यावरण संरक्षण के लिए कुरआन आधारित मॉडल प्रस्तुत करता है।
दूसरी ओर, शोधार्थी अदीवा खातून को इंडोनेशिया में आयोजित 24वीं वार्षिक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस ऑन इस्लाम, साइंस एंड सोसाइटी 2025 में अपना शोधपत्र प्रस्तुत करने के लिए चुना गया है। उनका शोधपत्र “जेंडर्ड हर्मेनेयुटिक्स एंड एपिस्टेमिक जस्टिसः ए क्रिटिकल एनालिसिस ऑफ वुमेन ट्रांसलेटर्स ऑफ द कुरआन इन इंग्लिश” व्याख्यात्मक अधिकार और कुरआनिक अनुवाद व व्याख्या में महिला विद्वानों के योगदान पर केंद्रित है।
खातून का शोध प्रबंध “वुमेन ट्रांसलेटर्स ऑफ द कुरआन इन इंग्लिशः ए क्रिटिकल स्टडी” इस बात की पड़ताल करता है कि महिला अनुवादक किस प्रकार कुरआनिक अध्ययन के व्याख्यात्मक परिदृश्य को नया आकार दे रही हैं, जिसका व्यापक असर जेंडर और ज्ञान संबंधी न्याय पर पड़ रहा है।
दोनों शोधार्थियों को के.ए. निजामी सेंटर के मानद निदेशक प्रो. अब्दुर रहीम किदवई ने सम्मानित किया और उनकी उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धियां न केवल व्यक्तिगत उत्कृष्टता की प्रतीक हैं बल्कि सेंटर की नवीन, बहु-विषयी और वैश्विक दृष्टिकोण वाली शोध गतिविधियों का प्रमाण भी हैं।
ये उपलब्धियां सेंटर की उस भूमिका को और मजबूत करती हैं जिसके तहत वह कुरआनिक अध्ययन, पर्यावरणीय नैतिकता, जेंडर स्टडीज और इस्लामी दर्शन के समन्वय से वैश्विक स्तर पर विद्वतापूर्ण संवाद को बढ़ावा दे रहा है।