हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 7 मई : 2025,
नई दिल्ली | 7 मई 2025
भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर एक निर्णायक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया है। इस ऑपरेशन का नाम “ऑपरेशन सिंदूर” रखा गया है। इस सर्जिकल मिशन में भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने संयुक्त रूप से हिस्सा लिया और पाकिस्तान के भीतर आतंकी नेटवर्क की रीढ़ तोड़ दी।
हमलों के केंद्र: बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट, कोटली और मुजफ्फराबाद
इस सैन्य अभियान में भारतीय बलों ने बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट, कोटली और मुजफ्फराबाद जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में मौजूद लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस ऑपरेशन की विस्तृत जानकारी दी।
हमले की पृष्ठभूमि: 22 अप्रैल का पहलगाम नरसंहार
विदेश सचिव ने बताया कि 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने निर्दोष पर्यटकों पर निर्मम हमला किया। इस हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक विदेशी पर्यटक की बर्बर हत्या कर दी गई थी। आतंकियों ने पीड़ितों को उनके परिवारों के सामने गोली मार दी, जिससे पूरा देश स्तब्ध रह गया।
ऑपरेशन का उद्देश्य: आतंकियों को न्याय के कटघरे में लाना
कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर का लक्ष्य था — पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड और आतंक के पनाहगाहों को तबाह करना। नौ ठिकानों की पहचान कर उन्हें निष्क्रिय किया गया, जिनमें आतंकियों के लॉन्च पैड और प्रशिक्षण केंद्र शामिल थे। खास बात यह रही कि इस ऑपरेशन को इस प्रकार अंजाम दिया गया कि नागरिकों और रिहायशी इलाकों को कोई क्षति न पहुंचे।
टीआरएफ (The Resistance Front) की भूमिका उजागर
विक्रम मिस्री ने यह भी बताया कि इस हमले की जिम्मेदारी एक संगठन टीआरएफ (The Resistance Front) ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का ही एक छद्म संगठन है। भारत ने पहले भी संयुक्त राष्ट्र में इस संगठन के खिलाफ सबूत पेश किए थे।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और भारत का अधिकार
विदेश सचिव ने कहा, “भारत ने सीमा पार हमलों को रोकने और उनका प्रतिरोध करने के अपने अधिकार का प्रयोग किया। यह कार्रवाई नपी-तुली, अप्रेरित और सिर्फ आतंकियों को निष्क्रिय करने के उद्देश्य से की गई थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी आतंक को प्रायोजित करने वालों को न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया है।”
ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सुरक्षा नीति में एक निर्णायक बदलाव का संकेत है, जिसमें भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया देने के बजाय, हमलों को रोकने के लिए पहले से तैयार और आक्रामक रणनीति अपना रहा है। यह अभियान भारत के सैन्य कौशल और खुफिया तंत्र की दक्षता का प्रतीक भी है।