हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 27 अप्रैल: 2025,
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ था आतंकी हमला
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में कई निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, जिसके बाद से देशभर में आक्रोश है। आम जनता से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता और कलाकार तक इस घटना की कड़ी निंदा कर रहे हैं। साथ ही, पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी उठ रही है।
नेहा सिंह राठौर ने सरकार पर साधा निशाना
भोजपुरी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने इस हमले को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने न सिर्फ इस घटना को सरकार की “चूक” बताया, बल्कि यह भी आरोप लगाया कि सरकार इस हमले का इस्तेमाल आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ के लिए करेगी।
वायरल हुआ नेहा सिंह राठौर का वीडियो
नेहा सिंह राठौर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे ‘PTI प्रमोशन’ नामक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट से शेयर किया गया है। वीडियो के कैप्शन में लिखा गया, “इस भारतीय लड़की ने पहलगाम हमले के पीछे की सच्चाई और कारण का खुलासा करते हुए कहा कि मोदी सरकार इस हमले का इस्तेमाल बिहार चुनाव में वोट हासिल करने के लिए करेगी।”
नेहा सिंह राठौर ने उठाए तीखे सवाल
वायरल वीडियो में नेहा सिंह राठौर कहती हैं:
“एक फोन कॉल से दूसरे देशों में युद्ध रुकवाने वाले अपने देश में आतंकवादी हमला नहीं रोक पाए। अंधभक्त कह रहे हैं कि ऐसी बातों पर राजनीति और सवाल नहीं करो तो किस बात पर सवाल करूं? शिक्षा और स्वास्थ्य पर, जिसे सवाल ही नहीं समझ आता? बेरोजगारी पर?”
उन्होंने कहा कि जब देश की राजनीति ही हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे पर आधारित हो गई हो और आतंकवादी हमलों में निर्दोष नागरिक मारे जा रहे हों, तो सवाल करना जरूरी हो जाता है।
सरकार पर चुनावी राजनीति का आरोप
नेहा सिंह राठौर ने अपने बयान में आगे कहा:
“नरेंद्र मोदी की सरकार में आतंकवादी हमले हो रहे हैं, तो सवाल क्या जिन्ना और नेहरू से पूछा जाएगा? नागरिकों की मौत और आतंकवादी हमले पर सवाल क्यों नहीं पूछे जाने चाहिए? अब दो-चार दिनों की बात है, फिर रोते हुए बिहार चुनाव की नींव डाली जाएगी और अंधभक्त इसके रील्स शेयर करेंगे।”
पाकिस्तान में भी शेयर हो रहा वीडियो
खास बात यह है कि नेहा सिंह राठौर का यह वीडियो पाकिस्तान में भी तेजी से शेयर किया जा रहा है, जिससे कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि देश के भीतर की राजनीतिक असहमति को कैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।