हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पालघर मॉब लिंचिंग मामले में चार आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि आरोपों की गंभीरता और उपलब्ध प्रथम दृष्टया सबूतों को देखते हुए इस स्तर पर जमानत देना उचित नहीं होगा। यह मामला वर्ष 2020 में महाराष्ट्र के पालघर जिले में हुई उस दर्दनाक घटना से जुड़ा है, जिसमें दो साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।

किन आरोपियों की याचिका खारिज
जिन चार आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की गई है, उनमें राजेश ढाकल राव, सुनील उर्फ सत्य शांताराम डालवी, सजन्या बारक्या बुरकुड और विनोद रामू राव शामिल हैं। जस्टिस डॉ. नीला गोखले की सिंगल बेंच ने इन सभी को राहत देने से इंकार कर दिया।
कोर्ट ने क्या कहा
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है, लेकिन हर स्थिति में इसे सर्वोपरि नहीं रखा जा सकता। अदालत के अनुसार, इस मामले में आरोप अत्यंत गंभीर हैं और इनमें आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान हो सकता है। साथ ही, गवाहों को प्रभावित करने, सबूतों से छेड़छाड़ और कानून-व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव की आशंका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
आरोपियों की दलील खारिज
आरोपियों की ओर से तर्क दिया गया कि वे लगभग पांच वर्षों से न्यायिक हिरासत में हैं और मुकदमे में देरी हो रही है, इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मामले में अब तक 42 अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, इसलिए समानता के आधार पर उन्हें भी राहत दी जाए। हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मॉब लिंचिंग जैसे मामलों में समानता का सिद्धांत लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि हर आरोपी की भूमिका अलग-अलग होती है।
मामले की पृष्ठभूमि
14 अप्रैल 2020 को पालघर जिले में ग्रामीणों ने कथित तौर पर बच्चा उठाने वाला समझकर दो साधुओं और उनके ड्राइवर की हत्या कर दी थी। भीड़ ने उन्हें बचाने पहुंचे पुलिसकर्मियों पर भी हमला किया था। इस घटना के बाद देशभर में भारी आक्रोश देखने को मिला। मामले में 126 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया और बाद में जांच सीबीआई को सौंप दी गई। फिलहाल सुनवाई जारी है और हाईकोर्ट के फैसले के बाद चारों आरोपी न्यायिक हिरासत में ही रहेंगे।
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