हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: 31 जुलाई 2025
रांची। झारखंड विधानसभा का पांच दिवसीय मानसून सत्र आज से शुरू हो गया है। सत्र शुरू होने से पहले गुरुवार को सत्तारूढ़ गठबंधन की एक अहम बैठक हुई, जिसमें आगामी सत्र के दौरान सरकार की रणनीति पर चर्चा की गई। यह बैठक एटीआई (एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) में आयोजित की गई थी, जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक शामिल हुए।
करीब डेढ़ घंटे चली इस बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की। बैठक के बाद मुख्यमंत्री समेत गठबंधन के सभी नेताओं ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित एसआईआर (सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेशन रूल्स) का तीखा विरोध जताया। मुख्यमंत्री ने साफ किया कि गठबंधन के सभी घटक दल एसआईआर का पूरी तरह से विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ओबीसी आरक्षण और सरना धर्म कोड जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चुप्पी साधे बैठी है।
सदन के भीतर और बाहर विरोध की तैयारी
कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि एसआईआर के खिलाफ लड़ाई सिर्फ सदन तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि सड़क पर भी उतरा जाएगा। उन्होंने जानकारी दी कि 4 अगस्त को सभी सत्तारूढ़ दल मिलकर इसके खिलाफ विरोध कार्यक्रम आयोजित करेंगे, जिसमें जनता को भी जोड़ा जाएगा।
बारिश से नुकसान पर भी उठेगा मुद्दा
कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने सत्र के दौरान लगातार हो रही बारिश से उत्पन्न स्थिति और उससे हुए जान-माल व फसल नुकसान का मुद्दा उठाने की बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार इसकी गंभीरता से समीक्षा कर रही है और प्रभावित किसानों के लिए मुआवजा और राहत पैकेज पर फैसला लिया जाएगा।
विपक्ष भी तैयार, सत्र रहेगा हंगामेदार
जहां सत्तारूढ़ दल एसआईआर, ओबीसी आरक्षण और सरना धर्म कोड पर केंद्र को घेरने की तैयारी कर चुके हैं, वहीं विपक्ष भी सरकार को भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर घेरने की रणनीति बना चुका है।
संभावित मुख्य मुद्दे जिन पर हो सकती है चर्चा
- एसआईआर के खिलाफ सत्तारूढ़ दलों का विरोध
- ओबीसी आरक्षण में देरी
- सरना धर्म कोड की मान्यता
- बारिश और बाढ़ से जान-माल व फसलों को हुआ नुकसान
- किसानों को मुआवजा व राहत की मांग
- बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और विधि व्यवस्था
झारखंड विधानसभा का यह मानसून सत्र काफी अहम माना जा रहा है। राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील कई मुद्दों पर गरमागरम बहस होने के आसार हैं। सरकार जहां केंद्र की नीतियों पर हमलावर रहेगी, वहीं विपक्ष राज्य सरकार की नाकामियों को उजागर करने का प्रयास करेगा। ऐसे में यह सत्र काफी हंगामेदार और अहम फैसलों वाला साबित हो सकता है।