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लखनऊ में सपा मुख्यालय के बाहर लगा पोस्टर बना चर्चा का केंद्र

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 29 अप्रैल: 2025,

राजधानी लखनऊ में चर्चा का केंद्र बना सपा मुख्यालय के बाहर लगा पोस्टर

लखनऊ के समाजवादी पार्टी मुख्यालय के बाहर एक बड़ा पोस्टर इन दिनों खासा चर्चा में है। इस होर्डिंग में डॉ. भीमराव आंबेडकर के साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का चेहरा दिखाई दे रहा है। यह पोस्टर सपा की मौजूदा राजनीतिक रणनीति को समझने का एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।

अबू आसिम आजमी पर चुप्पी, रामजी लाल सुमन पर मुखरता

हाल ही में महाराष्ट्र सपा अध्यक्ष अबू आसिम आजमी के औरंगजेब पर दिए गए बयान पर भाजपा ने कड़ा विरोध जताया था, लेकिन समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को तूल नहीं दिया। अखिलेश यादव का रुख स्पष्ट था कि पार्टी हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के जाल में नहीं फंसना चाहती।
वहीं, दूसरी ओर रामजी लाल सुमन के राणा सांगा को लेकर राज्यसभा में दिए बयान पर पार्टी नेतृत्व ने करणी सेना के विरोध पर आक्रामक रवैया अपनाया। अखिलेश यादव ने करणी सेना को सत्ता और पुलिस के संरक्षण में बताया और इस मुद्दे को पूरी मजबूती से उछाला।

रणनीतिक सोच के तहत करणी सेना के मुद्दे को उछाल

सपा नेतृत्व जानता है कि पिछली चुनावी हारों में एक बड़ी भूमिका उस धारणा की रही थी कि सपा सरकार ने जाति और धर्म विशेष को अधिक प्राथमिकता दी। इस बार पार्टी इस गलती को दोहराने से बचते हुए करणी सेना के बहाने “जाति विशेष बनाम पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक)” का मुद्दा हवा देना चाहती है।

सवाल भी उठाए जा रहे हैं कि करणी सेना जैसी संस्थाओं को फंडिंग कहां से मिल रही है, ताकि आम जनता के बीच सत्ता पक्ष को कटघरे में खड़ा किया जा सके।

बसपा के जाटव वोटबैंक पर सपा की नजर

रामजी लाल सुमन स्वयं जाटव बिरादरी से आते हैं, जो अब भी बसपा का मजबूत आधार है। डॉ. आंबेडकर जाटव समाज में अत्यंत पूजनीय माने जाते हैं। सपा इस संघर्ष के जरिये बसपा के बचे-खुचे वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है।

अखिलेश यादव और डॉ. आंबेडकर की साझा तस्वीर सपा के इस राजनीतिक प्रयास का प्रतीक बन गई है। लोकसभा चुनावों में इसके शुरुआती संकेत मिल चुके हैं, और अब विधानसभा चुनाव में इस रणनीति को और धार देने की कोशिश हो रही है।

भाजपा की रणनीति की परीक्षा

अब देखना होगा कि सत्ता पक्ष भाजपा करणी सेना और रामजी लाल सुमन विवाद को किस प्रकार संभालती है। साथ ही, सपा के इस नए दलित कार्ड और पीडीए समीकरण के जवाब में क्या नई रणनीति तैयार करती है।

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