हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ रविवार 1 जून 2025
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार शनिवार को सेवा से सेवानिवृत्त हो गए। उनके सेवा विस्तार की अटकलें जोरों पर थीं, लेकिन सरकार ने नया डीजीपी नियुक्त करने का निर्णय लिया। प्रशांत कुमार का 14 माह का कार्यकाल अपराधियों और माफियाओं के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के लिए याद किया जाएगा।
प्रशांत कुमार ने अपने कार्यकाल के दौरान मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे माफियाओं की कमर तोड़ने के साथ-साथ राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा और महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में पुलिस व्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। इससे पहले वे मेरठ जोन के एडीजी और बाद में एडीजी (कानून व्यवस्था) भी रहे।
सेवानिवृत्ति के दिन उन्होंने परंपरागत औपचारिकताओं से दूरी बनाए रखी और शांति से कार्यमुक्त हुए। सूत्रों के अनुसार, वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसेमंद अफसर रहे हैं और निकट भविष्य में उन्हें कोई महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा जा सकता है।
डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार संभालेंगे राजीव कृष्णा
उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 1991 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्णा को प्रदेश का नया पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया है। इसके साथ ही वे पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष भी बने रहेंगे। प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद द्वारा जारी आदेश के अनुसार, डीजीपी के अतिरिक्त कार्यभार के लिए उन्हें अलग से कोई वेतन या भत्ता नहीं दिया जाएगा।
राजीव कृष्णा ने शनिवार रात करीब 9 बजे डीजीपी का कार्यभार ग्रहण कर लिया। वे 11 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को सुपरसीड कर इस पद पर पहुंचे हैं। मूल रूप से गौतमबुद्धनगर के निवासी राजीव कृष्णा इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक हैं और उन्हें दो बार राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार समेत कई सम्मान मिल चुके हैं।
राजीव कृष्णा की सेवानिवृत्ति में अभी चार वर्ष एक माह शेष हैं, जिससे यह माना जा रहा है कि वे लंबे समय तक इस पद पर रह सकते हैं। हाल ही में सिपाही नागरिक पुलिस की भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की घटना के बाद, उन्होंने परीक्षा को दोबारा सफलतापूर्वक संपन्न कराया था, जिससे उनकी प्रशासनिक दक्षता साबित हुई।
लगातार पांचवां कार्यवाहक डीजीपी
गौरतलब है कि राजीव कृष्णा प्रदेश के लगातार पांचवें कार्यवाहक डीजीपी हैं। इससे पहले डीएस चौहान, आरके विश्वकर्मा, विजय कुमार और प्रशांत कुमार भी कार्यवाहक डीजीपी के रूप में कार्य कर चुके हैं। राज्य सरकार की ओर से पिछले तीन वर्षों से संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को स्थायी नियुक्ति के लिए पैनल नहीं भेजा गया है, जिसके कारण यह स्थिति बनी हुई है।