हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
अलीगढ़, 23 अक्टूबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में तेलंगाना के हैदराबाद स्थित गैर-सरकारी संगठन ‘दोबारा’ के सहयोग से “री-इमैजिन एजिंग” विषय पर एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बढ़ती उम्र, देखभाल और जीवन के उत्तरार्ध में सामाजिक जुड़ाव के महत्व पर विचार-विमर्श करना था।

कार्यक्रम का आयोजन विभागाध्यक्ष प्रो. मोहम्मद अकरम और डॉ. शाजिया फारूक फजली के निर्देशन में हुआ। इस अवसर पर शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने भाग लिया। वक्ताओं ने कहा कि बुढ़ापा किसी पतन का नहीं बल्कि अनुभव, उद्देश्य और रिश्तों से समृद्ध जीवन का नया चरण है।
प्रो. मोहम्मद अकरम ने अपने स्वागत भाषण में जराँत विज्ञान (जेरेंटोलॉजी) और स्वास्थ्य के समाजशास्त्रीय पहलुओं पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ नागरिक अफशान जे. द्वारा निर्मित ‘दोबारा’ पर आधारित एक प्रेरक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई, जिसमें वृद्धावस्था में साहस और आत्मनिर्भरता के उदाहरण दिखाए गए।
प्रो. आमिना किशोर ने वरिष्ठ नागरिकों के अनुभवों को सम्मान देने की आवश्यकता बताई, जबकि संगठन की संस्थापक मतीन अंसारी ने ‘दोबारा’ के मिशन और वरिष्ठ जनों के कल्याण से जुड़े प्रयास साझा किए। डॉ. अंजना सुरत ने पैलेटिव केयर के महत्व पर बल दिया और एडवोकेट रशीदा तबस्सुम ने वृद्धावस्था से जुड़े कानूनी अधिकारों व नैतिक मुद्दों पर चर्चा की।
कार्यक्रम की संयोजक डॉ. शाजिया फारूक फजली ने समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से वृद्धावस्था की समझ पर जोर देते हुए संवाद का माहौल बनाया। सत्र का समापन प्रश्नोत्तर और अनुभव-साझा करने के दौर से हुआ। अंत में नाजिया और सिराजुद्दीन ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

















