हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के राष्ट्रीय संयोजक एस.के. मुद्दीन ने कहा है कि वंदे मातरम का पाठ इस्लाम के खिलाफ नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह गीत देशप्रेम की भावना को प्रकट करता है, जिसे इस्लाम में हुब्ब-उल-वतनी यानी राष्ट्र के प्रति प्रेम कहा गया है। मुद्दीन ने आरोप लगाया कि कुछ कट्टरपंथी मुसलमान इस गीत को पूजा से जोड़कर समुदाय को गुमराह कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वंदे मातरम शब्दों का अर्थ है—“हे मातृभूमि, मैं आपको सलाम करता हूं।” इसमें देश की उपजाऊ भूमि, पेड़ों, फूलों, नदियों, पहाड़ों और प्राकृतिक सुंदरता की प्रशंसा की गई है, जो शरीयत के खिलाफ नहीं है। मुद्दीन ने कहा कि मुसलमानों को वंदे मातरम बोलने पर गर्व महसूस करना चाहिए।
भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर केंद्र सरकार ने देशभर में 150 स्थानों पर समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में करेंगे और स्मारक डाक टिकट व सिक्का भी जारी करेंगे।
मुद्दीन ने याद दिलाया कि आजादी से पहले मौलाना अबुल कलाम आजाद सहित कई मुस्लिम नेताओं ने वंदे मातरम को गर्व से पढ़ा था। लेकिन स्वतंत्रता के बाद कुछ अलगाववादी तत्वों ने इसे गलत तरीके से पेश कर मुस्लिम समाज को मुख्यधारा से दूर करने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि 2006 में, जब वे मध्यप्रदेश मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने वंदे मातरम का अनुवाद कर सभी मदरसों में वितरित कराया था।













