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समाजवादी पार्टी का ‘आओ गले मिले’ कार्यक्रम: 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू, सद्भाव और एकता का संदेश

समाजवादी पार्टी ने शुरू की 2027 चुनाव की तैयारी

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 10अप्रैल: 2025,

समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए अभी से कमर कस ली है। बुधवार, 9 अप्रैल को वे ‘आओ गले मिले’ अभियान के तहत आयोजित ‘होली-ईद मिलन सद्भाव समारोह’ में शामिल हुए।

गंगा-जमुनी तहज़ीब पर ज़ोर

इस मौके पर अखिलेश यादव ने देश की गंगा-जमुनी संस्कृति की बात करते हुए कहा:

“हमारा देश सभी धर्मों को साथ लेकर चलने वाला देश है। भाईचारा और सद्भाव हमारी ताकत है।”

उन्होंने यह भी कहा कि इस समय देश में एक अलग तरह की अशांति फैलाई जा रही है, लेकिन सपा का उद्देश्य है लोगों को जोड़ना, न कि तोड़ना।

धर्मगुरुओं और समाजसेवियों की मौजूदगी

इस कार्यक्रम में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्मों के प्रमुख धर्मगुरु और समाज के गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। जिनमें शामिल थे:

  • पंडित रवीन्द्र दीक्षित
  • मौलाना याकूब अब्बास
  • मौलाना फजले मन्नान
  • ज्ञानी गुरमेहर सिंह
  • बिशप जेराल्ड जॉन मथायस
  • प्रो. दिनेश कुमार, प्रो. वंदना, ताहिरा हसन
    इन सभी ने एक-दूसरे को होली और ईद की शुभकामनाएं दीं

ब्रायन सिलास की प्रस्तुति ने बढ़ाई शोभा

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त म्यूजिशियन ब्रायन सिलास ने समारोह में पियानो पर लता मंगेशकर, अनुराधा पौडवाल और अन्य लोकप्रिय गीतों की धुनें बजाकर माहौल को भावुक और मधुर बना दिया।


‘आओ गले मिले’ बनाम ‘सेफ हैं तो एक हैं’

जहां भाजपा ने नारा दिया है ‘एक हैं तो सेफ हैं’, वहीं सपा ने इसके जवाब में नया नारा पेश किया है ‘आओ गले मिले’। इसका उद्देश्य सभी धर्मों और जातियों को एक साथ लाकर भाईचारा और एकता का संदेश देना है।

‘पीडीए’ रणनीति: पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक गठजोड़ पर फोकस

अखिलेश यादव ने 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए अपनी राजनीतिक रणनीति को स्पष्ट करते हुए कहा:

“2027 में ‘पीडीए’ ही चलेगा।”
इस ‘पीडीए’ यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग का गठजोड़ सपा के लिए चुनावी सफलता की कुंजी माना जा रहा है।

यह गठबंधन बीजेपी के सामाजिक समीकरण, विशेष रूप से सवर्ण और कुछ ओबीसी जातियों के समर्थन को चुनौती देने की रणनीति है। इसके साथ ही सपा जातीय जनगणना की मांग को भी तेज करना चाहती है।

एकता का संदेश, चुनावी तैयारी की झलक

इस आयोजन के जरिए सपा ने सभी धर्मों को एक मंच पर लाकर यह दिखाने की कोशिश की है कि उनका एजेंडा समावेशी और सद्भावनापूर्ण राजनीति पर आधारित है। साथ ही, ये कार्यक्रम 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक माहौल तैयार करने का एक शुरुआती कदम भी है।

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