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सपा विधायक रमाकांत यादव को कोर्ट से झटका, 2006 के केस में मिली जेल

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 14 मई : 2025,

आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश):
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले की एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए समाजवादी पार्टी (SP) के विधायक और पूर्व सांसद रमाकांत यादव समेत चार आरोपियों को 19 साल पुराने चक्का जाम मामले में तीन-तीन महीने की सजा और 1300-1300 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। इस मामले में फैसला न्यायाधीश अनुपम त्रिपाठी की कोर्ट ने सुनाया।

क्या था मामला?

यह मामला 22 फरवरी 2006 का है, जब रमाकांत यादव ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर पवई चौक पर विभिन्न मांगों को लेकर चक्का जाम किया था। उस समय के थाना प्रभारी मूलचंद चौरसिया की शिकायत पर रमाकांत यादव सहित सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इन आरोपियों में राधेश्याम, रामकृपाल, दयाराम भास्कर, रामकिशन राजभर, रामफल और त्रिवेणी शामिल थे।

कई साल चला मुकदमा, दो ने पहले ही मान लिया था जुर्म

मुकदमे के दौरान आरोपी राधेश्याम की मृत्यु हो गई, जबकि रामफल और त्रिवेणी ने वर्ष 2022 में अपना जुर्म स्वीकार कर लिया था। इसके चलते कोर्ट ने उन्हें 1500 रुपये जुर्माने की सजा देकर रिहा कर दिया था। शेष चार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलता रहा। अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक अभियोजन अधिकारी विपिन चंद्र भास्कर के नेतृत्व में तीन गवाह पेश किए गए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने चारों को सजा सुनाई।

इन चार आरोपियों को हुई सजा:

  • रमाकांत यादव
  • रामकृपाल
  • दयाराम भास्कर
  • रामकिशन राजभर

फतेहगढ़ जेल में पहले से बंद हैं रमाकांत यादव

यह पहला मामला नहीं है जिसमें रमाकांत यादव विवादों में घिरे हों। वे हाल ही में आजमगढ़ में हुए जहरीली शराब कांड, जिसमें कई लोगों की जान गई थी, के मामले में भी मुख्य आरोपी हैं और वर्तमान में फतेहगढ़ जेल में बंद हैं।

कौन हैं रमाकांत यादव? जानिए उनका राजनीतिक सफर और विवाद

अंबारी (फूलपुर-पवई विधानसभा क्षेत्र) निवासी रमाकांत यादव की राजनीतिक यात्रा हमेशा सुर्खियों में रही है।

  • उन्होंने 1985 में राजनीति में कदम रखा
  • पहली बार फूलपुर-पवई सीट से विधायक चुने गए और लगातार तीन बार विधायक बने।
  • 1996 में आजमगढ़ से लोकसभा सांसद बने और चार बार लोकसभा पहुंचे
  • 2019 में बीजेपी से टिकट न मिलने पर कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन चुनाव हार गए।
  • बाद में समाजवादी पार्टी का दामन थामा और 2022 में एसपी के टिकट पर विधायक बने

विवादों से रहा है नाता:

  • 1998 लोकसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी अकबर अहमद डंपी से मारपीट के मामले में भी उन्हें जेल जाना पड़ा था।
  • अब जहरीली शराब कांड और 2006 के चक्का जाम मामले में सजा ने उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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